नेताजी सुभाषचंद्र बोस की जयंती पर नमन्
दांतारामगढ़, [लिखा सिंह सैनी ] स्वतंत्रता सेनानी नाथूराम कटारिया जिनको हम सभी ग्रामवासी प्रेम से “नाथू बाबा” कहते थे, आप नेताजी सुभाष चंद बोस की आजाद हिन्द सेना के सिपाई रहे, देश की स्वतन्त्रता के लिए आपने नेताजी के नेतृत्व लड़ाई लड़ी। आपको भारत सरकार की और से ताम्रपत्र मिला। आपका अनोखा व्यक्तित्व था, छ फिट से ज्यादा लम्बाई, रौबीली मूछे, सर पर गुलाबी राजस्थानी साफा, हाथ में सदैव “नो पैळि डाँग” रखते थे। सरकारी स्कूल घाटवा में स्वतन्त्रता दिवस पर ध्वजारोहण नाथू राम ही करते थे। खादी की गांधी टोपी पहने स्व.घीसा लाल कामदार और साफा पहने नाथू राम का व्यक्तित्व देखने लायक होता था, स्कूल के विद्यार्थी मार्चपास्ट करते थे, वो सलामी लेते थे, विद्यार्थियों का सीना गर्व से फूल जाता था, आज वो नजारे कहा । उन जैसे इंसान रहे ही नही…। नाथू बाबा आज हमारे बीच नही रहे पर उनकी स्मृति आज भी हमारे मन-मस्तिष्क में मौजूद है।नाथू राम की धर्मपत्नी तीजा देवी जिनको डबल पेंसन सरकार की और से मिलती थी। आपके पुत्र उदय राम कटारिया सेवानिवृत शिक्षक रहे है । नाथूराम के परिवार के सदस्य आज भी भारतीये सेना में अपनी सेवाएं प्रदान कर रहे हैं । आजाद हिन्द फौज के ही सिपाही स्व. नाथूबाबा के साथी और घाटवा के द्वितीय स्वतंत्रता सैनानी स्व. श्री गुलाबसिंह शेखावत भी महान नायक श्री सुभाष चन्द्र बोस के आव्हान पर इण्डियन आर्मी जो अँग्रेजों की थी उसे छोड़ कर आजाद हिन्द फौज में भर्ती हो गए थे । बहुत कम लोगों को जानकारी है कि ऐसे देश प्रेमी स्व. श्री गुलाबसिंह को भी भारत सरकार द्वारा ताम्रपत्र देकर सम्मानित किया गया था । आजादी के पश्चात् आप गुजरात पुलिस में भर्ती होकर वही रहने लगे 1985-86 में पुनः घाटवा आ गए थे । राज्य सरकार से मिलने वाली स्वतंत्रता सैनानी पेंशन को सरकार ने इन्हें यह कह कर अस्वीकार कर दिया था कि इन्होंने आवेदन की तारीख से 10 वर्ष निकल जाने के बाद आवेदनपत्र भेजा है । तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवचरण माथुर से घीसालाल कामदार ने निवेदन कर राज्य सरकार की सम्मान पेंशन कराई थी। नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के भाषणों का सारांश जो वो सुनाते थें ।इन्हीं के एक ओर साथी लादूराम जाट निवासी लालास थे।जिनकी भारी प्रयासों के बाद भी पेंशन स्वीकृत नही हो सकी थी ।