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एक तार से छः दशक पहले कैसे हुआ दांता – रामगढ़ से दांतारामगढ़

नेता जी सुभाषचन्द्र बोस  की जयंती पर नमन्

नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने रंगून में आजादी दिलाने के लिए महिलाऔ ने  अपने मंगलसूत्र व गहने दे दिये थे

उसी तरह दांतारामगढ़ वासियो ने भी छः दशक पहले स्कूल को क्रमोन्नत कराने के लिए अपने घरो के गहने तक  दे दिए थे

दांतारामगढ़, [लिखासिंह सैनी] सरकारी आदेश का तार जब दांता – रामगढ़ आया तो सभी लोगो खुशी से झुम उठे थे तार मे लिखा था । राजकीय स्कूल को क्रमोन्नत किया जाता है प्रवेश प्रारम्भ करे रामेश्वर विद्यार्थी जी  ने तत्कालीन  प्रधानाध्यापक  राय  खरे से मिलकर स्कूल में प्रवेश शुरू करने के लिए  चर्चा की  सरकार का आभार व्यक्त करते के लिए तार  भेज दिया फिर   दो दिन बाद पता चला की  रामगढ़ नही दांता स्कूल को क्रमोन्नत किया गया । लोगो की दो दिन की  खुशी मायूसी में छाः गई । उसी दौरान रामगढ़ वासियो ने मिलकर एक निर्णय लिया की रामगढ़ ही  दांतारामगढ़ है । लोग आंदोलीत हुए  रामेश्वर विद्यार्थी जी  के नेतृत्व में एक प्रतिनिधि मंडल  बनाया गया और सरकार से स्कूल क्रमोन्नत कराने के लिए जयपुर गये सरकार ने स्कूल को क्रमोन्नत करने के लिए मना कर दिया ।  लगातार निवेदन करने पर एक शर्त पर माने की एक दिन का समय और बीस हजार रुपये जमा करने पर स्कूल को क्रमोन्नत किया जाता सकता है । आज से साठ वर्ष पूर्व इस  रकम  का अर्थ आज के  पंद्रह लाख रुपये के बराबर है  । सभी लोग तुरंत प्रभाव से रामगढ़ आये और  रामेश्वर विद्यार्थी जी  के आह्वान पर लोगो ने अपने घर के  गहने तक  बेचकर धन इकट्ठा कर सरकार को जमा करा कर स्कूल को  क्रमोन्नत करवाया । रामगढ़   सैकण्डरी से हायर सैकण्डरी भी हो गई साथ ही  स्थाई  रूप से  दांता- रामगढ़ से भी दांतारामगढ़ हो गया। दांतारामगढ़ में प्रति वर्ष बाबा बालीनाथ जी की जयंती पर 31 जुलाई व 1अगस्त को धार्मिक कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है। [जैसा लेखक को उनके दादा श्री  स्व.हीरालाल जी सांखला वरिष्ठ अध्यापक ने बताया था] ।

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