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आत्मविश्वास व हौसलों से ललिता ने किया मंद बुद्धि लोगो के जीवन में बदलाव

कोरोना योद्धा के रूप में  डयूटी दे रही है

दांतारामगढ़(लिखासिंह सैनी) कोरोना महामारी से संक्रमित होने का लोगो में डर व भय का माहौल बना हुआ है ऐसे में किसी व्यक्ति  को कोरोना से सुरक्षित बचाना तथा उसका मार्गदर्शन करना जीवन में बहुत बड़ी चुनोति होती है। सरकार इन लोगो के लिए बहुत प्रयासरत है। जो बिना किसी मौत के डर से अपनी जान को खतरे में डालकर अपने कार्यों को अंजाम दे रहे है। लाडनूं तहसील के गांव जसवंतगढ़ की राजकीय जगन्नाथ तापड़िया उ.मा.वि. जसवंतगढ़ का क्वारटाईन केन्द्र है। जिसमे पिछले दो महीने से तीन मानसिक विक्षिप्त लोग रह रहे है। जो मानसिक रूप से परेशान है जहां दांता कस्बे की शिक्षिका ललिता कुमावत की जब से  डयूटी लगी,  इस स्थिति को देखकर पहले डर गई, मानसिक रूप से परेशान व्यक्तियों के व्यववहार व क्रियाकलापों से मन का विश्वास कमजोर हो रहा था। शिक्षिका कुमावत ने  दृढ़ संकल्प व आत्मविश्वास व बुलन्द हौसला जोश के साथ हिम्मत रखते  व  निडर होकर अपने कर्तव्यनिष्ठा से कोरोना योद्धा के रूप में  डयूटी दे रही है। सकारात्मक सोच व क्रियाकलापों के द्वारा अनेक प्रकार से इशारों व बातों से समझाकर उनके विचारों व कार्यो व्यवहार में बदलाव लाने का प्रयास किया । जिसकी बदौलत इन तीनो लोगों में बदलाव होने लगा है।
मानसिक रूप से परेशान लोगो  के कार्य क्वारटाईन  केंद्र में तीन व्यक्ति मानसिक विक्षिप्त है जिसमे से एक अर्ध मानसिक विकसित है जो पूरे दिनभर झाड़ू लिए रखता है तथा  दूसरा पत्थर फेंकता रहता व तीसरा जो भोलाभाला है। शिक्षिका कुमावत ने बताया जब  पहले दिन उनको लोगो को देखकर घबरा गई थी। मैने आत्मविश्वास व दृढ़ संकल्प व हौसला रखते हुए, जुनून से कार्य करते हुए डयूटी की जिससे उनके जीवन मे बदलाव लाने का कार्य किया। यह मेरे जीवन की एक बहुत बड़ी सफलता है। प्रधानाचार्य अशोक कुमार जांगू बताते है की स्कूल में  तीन विक्षिप्त लोगो के कार्य व व्यवहार में बदलाव लाने में कुमावत का प्रयास अच्छा रहा है। शिक्षिका ललिता कुमावत की गांव के वार्ड में  राशन वितरण में ड्यूटी लगी थी, वह कर्तव्यनिष्ठा से निर्वहन की है। कुमावत ने बेजुबान पक्षियो के लिए डयूटी के बाद में आसपास के क्षेत्र पुलिस थाना, राजकीय अस्पताल, राजकीय उमावि जसवंतगढ़ व राउमावि  आसोटा,आईटीआई कॉलेज के पास, पाबोलाव धाम,  सुजला कॉलेज चौराया,  गोगामेड़ी मंदिर के पास में भी 51 परिण्डे लगाए है।

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