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भारत सरकार के “एक भारत- श्रेष्ठ भारत” मिशन के तहत राजस्थान का प्रतिनिधित्व कर रही है अभिलाषा रणवा

सीकर, [लिखा सिंह सैनी ] भारत सरकार के “एक भारत- श्रेष्ठ भारत” मिशन के इंटर स्टेट एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत मेघालय राज्य की पांच दिवसीय यात्रा हेतु सीकर की अभिलाषा रणवा का चयन किया गया रणवा ने बताया की मुझे राजस्थान का प्रतिनिधित्व करने का अवसर मिला। एक भारत श्रेष्ठ भारत मिशन का उद्देश्य एक ऐसा वातावरण बनाना जो सर्वोत्तम प्रथाओं और अनुभवों को साझा करके राज्यों के बीच सीखने को बढ़ावा देना है। राजस्थान का प्रतिनिधित्व कर रही अभिलाषा रणवा ने राजस्थान में किए जा रहे महिलाओ सशक्तिकरण के प्रयासों के साथ ही स्वयं द्वारा किए जा रहे कार्यों व नवाचारों का प्रदर्शन किया । अभिलाषा रणवा द्वारा अपने द्वारा बनवाए बेटी बचाओ के संदेश लिखे लाख के कंगन, बीबीबीपी के संदेश लिखे पौधें, रूमाल व पेन भेंट किए गए जिसकी मेघालय सरकार द्वारा सराहना की गयी‌।

पांच दिवसीय यात्रा के दौरान पांच राज्यों की महिला टीम के साथ द्वारा शिलोंग स्थित राज्य महिला आयोग के साथ मीटिंग आयोजित की गयी। शिलोंग स्थित स्वाधार गृह व वेस्ट जयंतियां जिले में स्थित वन स्टाप सेंटर का दौरा भी किया‌। साथ ही मार्टिन लूथर यूनिवर्सिटी और एडमंड कॉलेज के शोधकर्ता छात्रों के साथ लैंगिक समानता, सामुदायिक भागीदारी, विविधता में एकता विषयों पर संवाद किया। खासी समुदाय की रानी मां बेटरीटी सायम व राजा से मुलाकात कर उन्हें पौधें भेंट किए व वहां की सुव्यवस्थित शासन व्यवस्था व सांस्कृतिक परम्पराओं की जानकारी ली। मेघालय के उमियाम स्थित उत्तरी पूर्वी अंतरिक्ष केंद्र में वैज्ञानिकों से रूबरू हुए। शोहरा (चेरापूंजी) स्थित रामकृष्ण परमहंस आश्रम के सचिव स्वामी अनुरागानंदा जी से मुलाकात कर आश्रम की व्यवस्थाओं के बारे में जाना। समुचे नार्थ ईस्ट में शिक्षा की अलख जगाने वाले गुरु जीवन रॉय द्वारा 1896 में शिलोंग में स्थापित खासी प्रिंटिंग प्रेस का भ्रमण कर उनके सामाजिक सरोकार हेतु किए गए कार्यों की जानकारी ली। भारत के 51 शक्तिपीठ में से एक मेघालय राज्य के नार्टियांग गांव में स्थित 600 साल पुराने मां दुर्गा मंदिर का दर्शन कर वहां के इतिहास को जाना। साथ ही नार्टियांग गांव में स्थित विश्व के सबसे विशाल मोनोलिथ देखा। स्वतंत्रता सेनानी उकियान ननबा के स्मारक स्थल का विजिट कर उनके बारे में जानकारी प्राप्त की। मेघालय के प्राकृतिक स्थलों का भ्रमण करने के साथ ही वहां के स्थानीय लोगों के मिलकर वहां की परंपराएं , लोक-संस्कृति व सामाजिक जीवन की जानकारी ली।

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