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आदर्श समाज समिति इंडिया ने संविधान दिवस पर राष्ट्र निर्माताओं को किया याद

संविधान दिवस पर योगाचार्य सुदेश खड़िया का जन्मदिन मनाया और लोटिया सरपंच महावीर सिंघल का किया सम्मान

झुंझुनू, राष्ट्रीय साहित्यिक व सामाजिक संस्थान आदर्श समाज समिति इंडिया के तत्वाधान में संविधान दिवस के उपलक्ष में संस्थान के कार्यालय सूरजगढ़ में जगदेव सिंह खरड़िया की अध्यक्षता में संविधान निर्माताओं के सम्मान में एक कार्यक्रम आयोजित किया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सरपंच महावीर सिंह सिंघल व विशिष्ट अतिथि योगाचार्य डॉ. प्रीतम सिंह, वरिष्ठ नेता महावीर प्रसाद सैनी व राधेश्याम चिरानिया रहे। इस मौके पर गोल्ड मेडलिस्ट युवा योगाचार्य सुदेश खरड़िया का जन्मदिन केक काटकर मनाया। सभा में मौजूद लोगों ने सुदेश खरड़िया को जन्मदिन की शुभकामनाएं देते हुए उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की। कार्यक्रम में लोटिया ग्राम पंचायत के सरपंच महावीर सिंघल को गांधी सेवा रत्न अवॉर्ड से सम्मानित किया। संविधान दिवस पर देश की आजादी के लिए अपना जीवन समर्पित करने वाले स्वतंत्रता सेनानियों और संविधान के निर्माण में अहम भूमिका निभाने वाले विद्वानों और राष्ट्र निर्माताओं के छायाचित्रों पर पुष्प अर्पित करते हुए संविधान निर्माण और राष्ट्र के निर्माण में उनके योगदान को याद किया। जगदेव सिंह खरड़िया, रामस्वरूप आसलवासिया, महावीर सिंघल, डॉ. प्रीतम सिंह, धर्मपाल गांधी, महावीर प्रसाद सैनी आदि ने सभा को संबोधित किया। कार्यक्रम का संचालन शिक्षाविद् रामस्वरूप आसलवासिया ने किया। सभा को संबोधित करते हुए जगदेव सिंह खरड़िया, महावीर प्रसाद सैनी व शिक्षाविद् रामस्वरूप आसलवासिया ने कहा- भारत का संविधान दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान है। इसे 26 नवंबर 1949 को संविधान सभा द्वारा स्वीकृत किया गया था। इसीलिए, इस दिन को देश भर में संविधान दिवस के रूप में मनाया जाता है। भारत के संविधान को बनाने में बहुत समय, विद्वान लोग, और बहुत सारा धैर्य शामिल है। क्योंकि बहुत समय से अंग्रेजों के आधीन रहने के बाद और बहुत से वीर और बलिदानियों के बलिदान के बाद भारत को आज़ाद होने और अपना संविधान बनाने का मौका मिला। आज लोगों को हैरानी होती है कि उस जमाने में संविधान सभा का निर्माण कैसे हुआ था। किन लोगों के द्वारा संविधान लिखा गया था। भारतीय संविधान सभा के लिए बाकायदा चुनाव हुए थे जो आजादी से लगभग एक साल पहले ही हो गये थे। जुलाई 1946 में चुनाव संपन्न होने के बाद उसी साल दिसंबर में संविधान सभा की पहली बैठक भी हो गई थी। आदर्श समाज समिति इंडिया के अध्यक्ष धर्मपाल गाँधी ने संविधान निर्माण के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि संविधान सभा की प्रथम बैठक 9 दिसंबर, 1946 को हुई। संविधान सभा को संबोधित करने वाले प्रथम व्यक्ति आचार्य जे.बी. कृपलानी थे। सच्चिदानंद सिन्हा को सभा का अस्थायी अध्यक्ष नियुक्त किया गया तथा मुस्लिम लीग ने इसका का बहिष्कार किया था।11 दिसंबर 1946 को डॉ. राजेंद्र प्रसाद को संविधान सभा का स्थायी अध्यक्ष चुना गया। सर बेनेगल नरसिम्हा राव को संविधान सभा के संवैधानिक सलाहकार पद पर नियुक्त किया गया। 13 दिसंबर 1946 को पंडित जवाहरलाल नेहरु ने संविधान सभा में उद्देश्य प्रस्ताव प्रस्तुत कर संविधान निर्माण का कार्य प्रारंभ किया। पंडित जवाहर लाल नेहरू ने संविधान की नींव के रूप में लक्ष्‍य और उद्देश्‍य को सामने रखा। उन्‍होंने संविधान का एक पूरा का पूरा खाका तैयार कर दिया था, जिसके अन्‍तर्गत सम्‍पूर्ण भारत के सभी रजवाड़ों की रियासतों को समाप्‍त करते हुए उन्‍हें भारतवर्ष का हिस्‍सा बना देने का प्रस्‍ताव था। 22 जनवरी 1947 को संविधान के इस सबसे महत्‍वपूर्ण प्रस्‍ताव को पास कर दिया गया, जिसका मुहम्मद अली जिन्‍ना और रजवाड़ों ने विरोध किया। सभी की सहमति पाना मुश्किल काम था परन्‍तु अप्रैल 1947 के अन्‍त तक संविधान सभा की दूसरी बैठक में बहुत से राजा कांग्रेस से सहमत हो गए थे।

संविधान निर्माण के लिए विभिन्न समितियां, जैसे प्रक्रिया समिति, वार्ता समिति, संचालन समिति कार्य समिति, संविधान समिति, झंडा समिति आदि का निर्माण किया गया। संविधान सभा ने संविधान निर्माण के कार्य को त्वरित गति से पूरा करने के लिए 22 समितियों का निर्माण किया था, जिसमें आठ प्रमुख समितियां थी। विभिन्न समितियों में प्रमुख प्रारुप समिति थी, जो कि 29 अगस्त 1947 को गठित की गयी थी, इसका अध्यक्ष डा. बी. आर. अंबेडकर को बनाया गया। संविधान सभा की बैठक तृतीय वाचन (अंतिम वाचन) के लिए 14 नवंबर 1949 को हुई, यह बैठक 26 नवंबर 1949 को समाप्त हुई। भारतीय संविधान का निर्माण एक संविधान सभा द्वारा 2 वर्ष 11 महीने तथा 18 दिन में किया गया था। संपूर्ण संविधान 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया था। 26 जनवरी, 1950 को भारत को गणतंत्र घोषित किया गया। संविधान सभा को ही आगामी संसद के चुनाव तक भारतीय संसद के रुप में मान्यता प्रदान की गयी।
भारतीय संविधान विश्व का सबसे लंबा लिखित संविधान है। 24 जनवरी 1950 को संविधान सभा के 284 सदस्यों ने संविधान पर हस्ताक्षर किये और डॉ. राजेंद्र प्रसाद को राष्ट्रपति के लिए चुना गया। जहां तक संविधान निर्माण की पूरी प्रक्रिया का सवाल है, इसमें व्यापक रूप से संविधान सभा के कई सदस्यों ने ऐसी भूमिका निभाई थी, जिसे नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता है। मसलन पंडित जवाहरलाल नेहरू ने लक्ष्य संबंधी प्रस्ताव पेश किया था, सरदार वल्लभ भाई पटेल ने मूलभूत अधिकारों और अल्पसंख्यक समुदायों के हितों की सुरक्षा के लिए बनाई गई समिति का समन्वय किया था। आदिवासी समाज के हकों पर जयपाल सिंह ने बहुत अहम भूमिका निभाई, तो वहीं इसे भारतीय दर्शन से जोड़ने में डॉ. एस. राधाकृष्णन की भूमिका बहुत अहम रही।संविधान को लिखने में बेनेगल नरसिम्हा राव की बहुत बड़ी भूमिका रही, जिन्हें संविधान सभा के सलाहकार के रूप में नियुक्त किया गया था। उन्होंने अकेले ही फ़रवरी 1948 तक संविधान का प्रारंभिक मसौदा तैयार कर लिया था जिसे लंबी चर्चा, बहस और संशोधन के बाद 26 नवंबर 1949 को पारित कर दिया गया था। डॉ.भीमराव अम्बेडकर ने संविधान सभा में अपने समापन भाषण में सर बेनेगल नरसिम्हा राव के योगदान को याद करने हुए कहा था, “मुझे जो श्रेय दिया जा रहा है वह वास्तव में मेरा नहीं है। यह आंशिक रूप से संविधान सभा के संवैधानिक सलाहकार सर बी. एन. राव का है, जिन्होंने मसौदा समिति के विचार के लिए संविधान का एक मोटा मसौदा तैयार किया था…” संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने राव के बारे में कहा “बी.एन. राव वह व्यक्ति था जिसने भारतीय संविधान की योजना की कल्पना की और इसकी नींव रखी।” भारतीय संविधान का ड्राफ्ट तैयार करने के लिए सर बेनेगल नरसिम्हा राव ने कई देशों की यात्रा की थी। रिसर्च के सिलसिले में वो अमेरिका, कनाडा, आयरलैंड और ब्रिटेन गए थे। इस दौरान उन्होंने वहां के न्यायविदों और रिसर्च स्कालर्स से बातचीत कर संविधान निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। भारत का संविधान दुनिया का सबसे बड़ा हस्तलिखित संविधान है।स्वतंत्रता, समता, बंधुता, न्याय, विधि का शासन, विधि के समक्ष समानता, लोकतांत्रिक प्रक्रिया और धर्म, जाति, लिंग और अन्य किसी भेदभाव के बिना सभी व्यक्तियों के लिए गरिमामय जीवन भारतीय संविधान का दर्शन एवं आदर्श है। आजादी से पहले स्वतंत्रता संग्राम और स्वतंत्र भारत में राष्ट्र निर्माण की चुनौती को पूरा करने में वेसै तो देश के सैकड़ों नेताओं ने अपना योगदान दिया लेकिन कुछ नेता ऐसे हुए हैं जो न होते तो शायद भारत आज ऐसा नहीं होता जैसा कि आज है। स्वतंत्रता से पहले के गुलाम और पिछड़े भारत को आज के विकसित लोकतंत्र में रूपांतरित करने वाले नेताओं में महात्मा गांधी, डॉ. राजेंद्र प्रसाद, पंडित जवाहरलाल नेहरू, सरदार वल्लभभाई पटेल, बाबू जगजीवन राम, इंदिरा गांधी, जयप्रकाश नारायण और राममनोहर लोहिया के नाम सबसे ऊपर आते हैं। ये वे नेता हैं जो जनता की आशाओं पर खरे उतरे और जिन्होंने देश को मजबूत नेतृत्व दिया। आधुनिक भारत के रचयिता पंडित जवाहरलाल नेहरू भारत के प्रथम प्रधानमंत्री होने के साथ आजादी के पूर्व और पश्चात देश की राजनीति में केंद्रीय व्यक्तित्व रहे हैं। आजादी के बाद भारत में लोकतंत्र स्थापित करने और संविधान के निर्माण में पंडित जवाहरलाल नेहरु की विशेष भूमिका रही है। सविधान दिवस के उपलक्ष में आयोजित कार्यक्रम में इंद्रसिंह शिल्ला भोबिया, राजेंद्र कुमार, सज्जन कटारिया, रामराज जादू, उमेद सिंह भोबिया, मनेष दिल्ली पुलिस, सुनील गांधी, सतीश कुमार, बृजेश, अंजू गांधी, दिनेश, सुदेश खरड़िया, वंदना बेरला, मौसम बरवड़, विशाल नाडिया आदि अन्य लोग शामिल रहे। आदर्श समाज समिति इंडिया के अध्यक्ष धर्मपाल गांधी ने सभी का आभार प्रकट किया। कार्यक्रम का संचालन रामस्वरूप आसलवासिया ने किया।

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