लाम्बा कोचिंग कॉलेज के निदेशक शुभकरण लाम्बा ने कहा कि डॉ. भीवराव राम अम्बेडकर विश्व के उन गिने चुने लोगों में से एक हैं जिन्होंने एक तरफ समाज में सदियों से शौषित और उत्पिडि़त लोगों की चेतना जागृत की जिससे वे अपने मानवीय अधिकारों की मांग कर उठे और दूसरी तरफ राष्ट्र को एकजुट रखने के लिए एक विशाल संविधान का निर्माण किया। उनका दर्शन और उनके द्वारा रचित संविधान एक तरफ राष्ट्र और समाज में खुशहाली, शांति और सौहार्द प्रदान करता हैं। तो दूसरी तरफ भारत सहित दुनियां के लोगों को अपने अधिकारों के प्रति सजग करता हैं। वे किसी जाति, वर्ण, धर्म व राष्ट्र की ही नहीं बल्कि समस्त विश्व की विरासत हैं। वे गांधी, बुद्ध, महावीर स्वामी, गुरू नानक व स्वामी दयानंद सरस्वती की श्रेणी में आते हैं जिन्होंने मानव जाति को मुक्त करवाया। यही कारण है कि संयुक्त राष्ट्र संघ ने उनकी 125 वीं जयंती पर उन्हें विश्व का प्रणेता कहा था। उनके व्यक्तित्व और कृतित्व के सम्मान में उनकी जयंती और महापरिनिर्वाण दिवस भारत के अतिरिक्त 65 अन्य देशों में उत्सव के तौर पर मनाये जाते हैं और महाराष्ट्र में तो उन्हें पूजा जाता है। जापान, ग्रेट ब्रिटेन सहित कई देशों में उनके सम्मान में ऊँची मूर्तियाँ स्थापित है। राजा अशोक महान के बाद वे भारत के पहले व्यक्ति थे जिन्होंने 1956 में अपने 11 लाख समर्थकों के साथ बौध धर्म अंगीकार किया था जो कि विश्व की एक ऐतिहासिक घटना थी। उनके बौध धर्मान्तरण और परलोक गमन के बीच का समय मात्र 54 दिन का था। यदि वे कुछ वर्ष और जी जाते तो बौध धर्म विश्व का सबसे बड़ा धर्म बन जाता। बौध धर्म एशिया का वो धर्म है जिसमें मानवता, वैज्ञानिकता, स्वतंत्रता, समता और भातृत्व हैं। यह मनुष्य को हर तरह के बन्धनों से मुक्त करता है। इसका जन्म भारत में ही हुआ था। काश यदि भारत के लोग इसे ग्रहण कर लेते तो शायद यह विशाल देश कभी 948 वर्षो तक गुलाम नहीं रहता क्योंकि अच्छे धर्म मानव को मजबूती और मुक्ति प्रदान करते है।