सूचना एवं जनसंपर्क अधिकारी झुंझुनू को राज्य सूचना आयोग का एक और नोटिस हुआ जारी
कांग्रेस सरकार में खुद को खुदा मान कर काम करते थे झुंझुनू पीआरओ
झुंझुनू, लोक सूचना अधिकारी एवं सूचना एवं जनसंपर्क अधिकारी झुंझुनू को राजस्थान राज्य सूचना आयोग की तरफ से आरटीआई से जुड़े हुए मामले में नोटिस जारी किया गया है। राजस्थान राज्य सूचना आयोग ने यह नोटिस द्वितीय अपील की सुनवाई के प्रथम नोटिस के रूप में दिया है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि पत्रकार नीरज सैनी द्वारा सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 के अंतर्गत सूचना जनसंपर्क अधिकारी झुंझुनू के यहां पर एक और मामले को लेकर आवेदन किया गया था जिसका कोई भी जवाब उनका नहीं मिला। इसके बाद में पत्रकार सैनी द्वारा प्रथम अपील निदेशक सूचना एवं जनसंपर्क विभाग जयपुर के यहां पर लगाई गई थी। यहां पर भी इस आरटीआई से जुड़े मामले में बड़ा गोलमाल देखने को मिला था। दरअसल प्रथम अपील की सुनवाई के संबंध में पत्रकार सैनी को जो पत्र सूचना एवं जनसंपर्क विभाग जयपुर से मिला वह 9 -11- 2023 को डाक से प्राप्त हुआ जबकि इस पत्र में प्रथम अपील की सुनवाई दिनांक 7.11.2023 निर्धारित की गई थी। यह कोई मानवीय भूल नहीं थी जिस तरीके से यहां पर सूचना जनसंपर्क विभाग में काम देखने को मिला उसमें महत्वपूर्ण बात यह थी कि पत्रकार सैनी द्वारा सूचना के अधिकार के अंतर्गत किए गए आवेदन में स्पष्ट रूप से अपना पूरा पता लिखा गया था और इसमें जिला झुंझुनू राजस्थान भी लिखा गया था लेकिन पत्रकार सैनी को सूचना देने के लिए जो पत्र भेजा गया उसमे जिला जोधपुर लिख दिया गया और बाकायदा उसके लिफाफे के ऊपर जोधपुर के ही सही पिन कोड भी लिख दिए गए। इससे जाहिर होता है कि यह कोई त्रुटि वंश नहीं हुआ ,बल्कि जानबूझकर ऐसा किया गया ताकि अपीलार्थी को सूचना देरी से मिले और वह प्रथम अपील में उपस्थित नहीं हो सके। प्रथम अपील में सुनवाई की सूचना दिनांक गुजरने के उपरांत मिलने के कारण सैनी इस सुनवाई में उपस्थित नहीं हो सके। जिसके चलते उन्होंने प्रथम अपील अधिकारी निदेशक सूचना एवं जनसंपर्क विभाग जयपुर को इस पूरे मामले से जुड़े षड्यंत्र की जानकारी देते हुए एक शिकायती पत्र भेजते हुए प्रथम अपील पुनः सही तरीके से करवाने की मांग की गई लेकिन उसका भी कोई जवाब सूचना एवं जनसंपर्क विभाग की तरफ से नहीं मिला और समय अवधि व्यतीत होने पर पत्रकार सैनी द्वारा राजस्थान राज्य सूचना आयोग में इस पूरे मामले को लेकर द्वितीय अपील की गई जिसको राजस्थान राज्य सूचना आयोग ने स्वीकार करते हुए इस मामले में सूचना एवं जनसंपर्क अधिकारी झुंझुनू को द्वितीय अपील सुनवाई का प्रथम नोटिस जारी किया है। साथ ही उन्होंने नोटिस में लिखा है कि इस नोटिस प्राप्ति के 21 दिन में अपीलोत्तर आयोग को प्रेषित करें तथा प्रेषित अपीलोत्तर की एक प्रति अपीलार्थी को भी रजिस्टर्ड डाक से भिजवाए। साथ ही अपीलोत्तर के प्रेषण के प्रमाण की प्रति तथा सूचना से संबंधित समस्त अभिलेखों के साथ आप स्वयं या आप द्वारा लिखित तौर पर प्राधिकृत प्रतिनिधि 24 जून 2024 को कोर्ट नंबर दो में उपलब्ध रहेंगे। वही इस नोटिस में लिखा गया है कि सूचना प्रदान करने में विलंब के लिए सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 20 में दंडित किए जाने का प्रावधान भी है।
कांग्रेस सरकार में खुद को खुदा मान कर काम करते थे झुंझुनू पीआरओ
“मैं मुख्यमंत्री के ओएसडी की कुर्सी के बगल में जाकर बैठता हूं”
दरअसल आपको बता दें कि सूचना एवं जनसंपर्क अधिकारी झुंझुनू हिमांशु सिंह सैनी की कार्यशैली को लेकर लंबे समय से सवाल उठाते रहे हैं। पत्रकार सैनी द्वारा सूचना एवं जनसंपर्क कार्यालय झुंझुनू में एक पूर्व में आरटीआई के तहत आवेदन किया गया था जिसमें जिला मुख्यालय के पत्रकारों की सूची मांगी गई थी लेकिन वह भी उपलब्ध नहीं करवाई गई। जिसके चलते उन्होंने अपनी प्रथम अपील निदेशक सूचना जनसंपर्क विभाग के यहां पर की थी और वह स्वयं इस प्रथम अपील की सुनवाई में तो पहुंचे ही नहीं और न ही किसी अन्य व्यक्ति को प्राधिकृत करके यहां पर भेजा। बल्कि एक पत्र लिखकर भेज दिया कि झुंझुनू जिला कलेक्टर ने इस दिन आवश्यक कार्य के लिए उनकी ड्यूटी लगाई हुई है इसलिए वह उपस्थित नहीं हो सकते। इस प्रथम सुनवाई में प्रथम अपील अधिकारी ने सूचना एवं जनसंपर्क अधिकारी झुंझुनू को अपीलार्थी को सूचना उपलब्ध करवाने के लिए निर्देशित किया। इसके उपरांत जो सूचना पत्रकार को उपलब्ध करवाई गई वह भ्रमपूर्ण और अपूर्ण थी। जिसके चलते उन्होंने इस मामले की अपील राजस्थान राज्य सूचना आयोग में की हुई है और इसकी सुनवाई का प्रथम नोटिस सूचना एवं जनसंपर्क अधिकारी झुंझुनू को पहले ही जारी किया जा चुका है। इस नोटिस में भी लिखा गया था कि नोटिस प्राप्ति के 21 दिवस में राजस्थान राज्य सूचना आयोग के साथ अपीलार्थी को भी अपीलोत्तर रजिस्टर्ड डाक से भिजवाए। लेकिन सूचना आयोग के इस निर्देश की भी अवहेलना उनके द्वारा की गई। इसके संबंध में भी पत्रकार सैनी द्वारा राजस्थान राज्य सूचना आयोग में शिकायत दर्ज करवा दी गई है। इस मामले की सुनवाई अप्रैल माह में राजस्थान राज्य सूचना आयोग में होनी है। आरटीआई से जुड़े हुए मामलों में देखा जाता है कि जिले के आला अधिकारी भी राजस्थान राज्य सूचना आयोग के निर्देशों की पालना करते हुए कि 21 दिवस में अपीलार्थी को अपीलोत्तर की प्रति भेज देते हैं लेकिन सूचना जनसंपर्क अधिकारी उनके आदेशों को हल्के में लेते हैं और यही कोई पहला मामला नहीं पत्रकार से जुड़े एक मामले में भी तत्कालीन जिला कलेक्टर लक्ष्मण सिंह कुड़ी ने इनको एन ओ सी की त्रुटि सुधार करने और समाचार पत्र की एन ओ सी दुबारा जारी करने के मामले में भी लताड़ लगा ई थी। क्योंकि तत्कालीन जिला कलेक्टर के आदेशों को भी यह अनदेखा कर चुके थे। इस पूरे मामले में जो बात निकलकर सामने आई है वह यह है कि सूचना एवं जनसंपर्क अधिकारी हिमांशु सिंह कांग्रेस सरकार में मुख्यमंत्री और मुख्यमंत्री के ओएसडी के नाम पर लोगों में धौंस जमाते थे जिसके चलते वह खुद को खुदा मान कर ही काम करने लगे थे। सूत्रों ने जानकारी देते हुए बताया कि उनके इस रवैया पर जब स्टाफ में भी लोगों ने सलाह देने का प्रयास किया गया तो बकौल झुंझुनू पीआरओ मैं झुंझुनू के पत्रकारों को क्या समझूं मैं मुख्यमंत्री के ओएसडी देवाराम सैनी की कुर्सी के बगल में जाकर बैठता हूं। सूचना एवं जनसंपर्क अधिकारी को सरकार के बदलने की संभावना नजर नहीं आ रही थी और वह सोच रहे थे कि एक बार फिर से प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनेगी इसके लिए वह यहां के कुछ स्थानीय छूट भैया नेताओं के साथ मिलकर पत्रकार पर भी लगातार दबाव बनाने का प्रयास कर रहे थे। वही इनसे जुड़े एक मामले में जब आरटीआई झुंझुनू जिला कलेक्टर के यहां पर लगाई गई तो उसको सोशल मीडिया पर वायरल करके पत्रकार को प्रताड़ित किया गया था।
यह मांगी थी सूचना ….
सूचना के अधिकार के अंतर्गत किये गए इस आवेदन में मुख्यमंत्री युवा संबल योजना [बेरोजगारी भत्ता] के अंतर्गत उनके कार्यालय में इंटर्नशिप कर रहे युवक व युवतियों के संबंध में जानकारी मांगी गई थी। जो की अपीलार्थी को उपलब्ध नहीं करवाई गई।