आदर्श समाज समिति इंडिया के तत्वाधान में
सूरजगढ़, आज शुक्रवार को अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस पर आदर्श समाज समिति इंडिया के तत्वधान में श्रमिकों, गरीब मजदूरों के साथ हो रहे भेदभाव और अत्याचार को लेकर सूरजगढ़ उपखंड अधिकारी के प्रतिनिधि रामस्वरूप बोकोलिया को प्रधानमंत्री व गृहमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा। आदर्श समाज समिति इंडिया के संरक्षक मनजीत सिंह तंवर ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस पर प्रधानमंत्री व गृहमंत्री को ज्ञापन भेजकर लॉक डाउन के दौरान मरने वाले श्रमिकों, गरीब मजदूरों के आश्रितों को मुआवजा देने और पीड़ित परिवारों को हर संभव सहायता करने की मांग उठाई गई है। देश के विकास में मजदूरों का सबसे बड़ा हाथ होता है। इसलिए मजदूरों के साथ किसी तरह का कोई भेदभाव नहीं होना चाहिये। बीच रास्तों में फंसे गरीब मजदूरों को सुरक्षित उनके घर तक पहुंचाया जाना चाहिये।गरीब मजदूरों पर किसी तरह का कोई अत्याचार नहीं होना चाहिये। आदर्श समाज समिति इंडिया के अध्यक्ष धर्मपाल गांधी ने कहा कि वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए बिना किसी पूर्व तैयारी के अचानक से पूरे देश में लॉक डाउन घोषित किये जाने का सीधा प्रभाव भारत के गरीब और मजदूर वर्ग पर पड़ा है। पिछले दिनों जिस तरह से देश में मजदूर पलायन करते देखे गये हैं। वो भूखे गरीब मजदूरों की तस्वीरें इस देश की जमीनी हकीकत और सरकार की बदइंतजामी को बयाँ करती हैं। लॉक डाउन में सरकार की बदइंतजामी की वजह से गरीब मजदूर भयानक मुसीबत में फंस गये। दिहाड़ी मजदूरों के पास कोई काम नहीं रह गया। रहने और खाने-पीने की कोई व्यवस्था नहीं होने की वजह से गरीब मजदूरों को पैदल ही घर की तरफ पलायन करना पड़ा। कुछ की तो घर पहुंचने के प्रयासों में ही मौत हो गई। लॉक डाउन में भूख से मरने वालों की संख्या अभी सैकड़ों में है। लेकिन यह हजारों में हो जायेगी। लाॅक डाउन में भयंकर परेशानियों से गुजरने वाले यह वह मजदूर हैं जो कहीं फैक्ट्री, बिल्डिंग निर्माण, सड़क निर्माण, मजदूरी, रिक्शा चालक और अन्य दिहाड़ी मजदूरी करते थे। इसमें भी सबसे अधिक संख्या उन लोगों की है, जो प्रवासी मजदूर हैं, जो उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल से जाकर महानगरों में कार्य करते हैं। भारत में 85{44d7e8a5cbfd7fbf50b2f42071b88e8c5c0364c8b0c9ec50d635256cec1b7b56} लोग इसी असंगठित क्षेत्र के अंतर्गत कार्य करते हैं। इन लोगों की आजीविका रोज कमा कर खाने पर निर्भर होती है। नोटबंदी से लेकर देशबंदी तक इन्हीं गरीब मजदूरों पर सबसे ज्यादा मार पड़ी है। सरकार द्वारा गरीब मजदूरों के साथ बहुत बड़ा भेदभाव किया है। जब लाखों भारतीयों को विदेशों से लाकर उनको सुरक्षित घर पहुंचाया जा सकता है तो गरीब मजदूरों के साथ भेदभाव क्यों किया जा रहा है? सरकार द्वारा अमीरों को अन्य राज्यों से बस भेज कर मंगवाया जा रहा है। जबकि गरीब मजदूरों को पैदल सड़क पर जाने से रोका जा रहा है। पैदल जा रहे गरीब मजदूरों को पुलिस से बेरहमी से पीटवाया रहा है। कई गरीब मजदूरों पर पुलिस ने इतना कहर ढाया है कि अधिक पिटाई करने से बहुत से लोगों की जान चली गई है। गरीब मजदूर किसान से लेकर एंबुलेंस के ड्राइवर तक की पुलिस की पिटाई से मौत हुई है। ऐसे पुलिस वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए। कोरोना संकट में सरकारों के बदइंतजामी के चलते बड़ी संख्या में जान गवाने वाले ये गरीब मजदूर भी भारतीय लोकतंत्र का हिस्सा हैं। कोरोना वायरस के संक्रमण का यह दौर बीत जाएगा लेकिन इस दौरान प्रशासनिक गैरजिम्मेदारी से जिनकी मौत हुई है, उनके परिवार वालों के लिए यह संकट हमेशा बना रहेगा। केंद्र सरकार और राज्यों के प्रशासन को इसकी जिम्मेदारी लेनी चाहिए और पीड़ित परिवारों की हरसंभव सहायता करनी चाहिए। आदर्श समाज समिति इंडिया द्वारा सरकार से वाजिब मांग की गई है कि लॉक डाउन के दौरान जितने भी श्रमिक, गरीब मजदूरों की मौत हुई है। उन सभी के आश्रितों को तुरंत प्रभाव से मुआवजा दिया जाये और पीड़ित परिवारों की हरसंभव सहायता की जाये। ज्ञापन देने वालों में राजेंद्र कुमार, मनजीत सिंह तंवर, वैध जय प्रकाश, धर्मपाल गांधी, रवि कुमार, संजय कुमार, अशोक कुमार, सतीश कुमार, पिंकी आदि अन्य कार्यकर्ताओं का सहयोग रहा।