चमत्कारी हैं किशोरपुरा का माँ चामुण्डा मन्दिर
गुढा गौड़जी, [संदीप चौधरी ] शेखावाटी के रेतीले धोरों एवं अरावली पर्वतमाला के अनूठे संगम पर बसे ग्राम किशोरपुरा की पहाड़ी पर बना प्राचीन चामुण्डा माता का मन्दिर अपने आप मे चमत्कारी हैं । मान्यता के अनुसार यहाँ भक्त रोते हुए आते है और हंसते हुए जाते हैं। महाशक्ति चामुण्डा का यह मन्दिर करीब दो सौ वर्ष पुराना हैं । प्राचीन कथा के अनुसार गुल्लाराम दरोगा एक ग्वाला था । वह बकरियां चराने अक्सर अरावली की पहाडीयों में जाया करता था । ग्वाला माता का नाम हर पल अपनी जुबान पर रखता था । एक दिन वह भक्ति से प्रभावित होकर पहाडी पर गया । तो उसे अचानक पहाडी के खोल में घंटियों की आवाज सुनाई देने लगी । धरती हिलने लगी अंधेरा छाने लगा इस गनघोर दृश्य को देखकर गुल्लाराम घबरा उठा उसी समय आकाशवाणी हुई कि ‘बेटा डरो मत’ मैं माँ चामुण्डा हूँ तुम मेरी पत्थर की मूर्ति को ऐसी जगह स्थापित करना जिसकी ज्योत गांव के सामने हो बेटे आगामी घोर कलयुग में जो भी मेरी आराधना करेगा उनके कष्टों का हरण करूंगी । इतना कहते ही मां अन्तरध्यान हो गई । यह पूरा वृतान्त गुल्लाराम ने ग्रामीणों को बताया तो भक्तों ने मिलकर पहाड़ी पर चामुंडा की मूर्ति स्थापित की । किशोरपुरा गांव आज इसी चामुण्डा की गोद मे बसा हुआ है पहले यहा पर कोई सुविधा नही थी भक्त सुरेश मीणा किशोरपुरा ने बताया कि मन्दिर परिसर में काफी समय से पेयजल की व्यवस्था हो गयी हैं जलाशय कुण्ड , तिबारो, धुंणो, टीन – सेड का भी निर्माण हुआ है साथ ही माता के जाने वाले रास्ते पर पेडियो का निर्माण कार्य अंतिम चरण पर हैं । प्रकृति के इसे अद्भुत स्थल से करीब सौ दूरदराज के गांव साफ दिखते हैं । मंदिर के महंत जगदीशनंद महाराज पिछले 5 साल से मौन व्रत पर हैं नवरात्रों में मंदिर में आसपास के अलावा दूरदराज के काफी संख्या में भक्त आते थे लेकिन इस बार कोरोना वायरस के कारण गिनती के ही भक्त दर्शन करने आते हैं । मंदिर में इस बार आदिवासी मीणा समाज के प्रदेश प्रधान सुरेश मीणा किशोरपुरा नवरात्रि पर बैठे हैं एकांतवास होने के कारण गांव के लोग अक्सर आते रहते हैं । माता के परम् भक्त रामवतार मीणा व सुशील कुमावत बताते हैं की आराध्य देवी माँ चामुंडा के नारियल का भोग लगाने से वह हर मनोकामना पूरी करती हैं ।