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बचपन का प्रकृति से प्रेम 87 वर्ष की उम्र में चढ़ चूका है परवान पर

अब तक लगाए पौधों में 4000 बन चुके पेड़

तारानगर [विशाल आसोपा ] ढाणी आशा के 87 वर्षीय चम्पालाल पुत्र बालूराम सहारण एक ऐसे पर्यावरण प्रेमी है जो 87 वर्ष की उम्र में भी उसी जुनून से पौधा रोपण करने में लगे हुए है । ये एक ऐसे शख्स है जिन्होंने मात्र 5 वर्ष की उम्र में ही पौधों से प्यार करना शुरू कर दिया था । जहां कहीं भी जाते वहां पौधे लगाकर अपनी अमिट छाप छोड़ आते है। चम्पालाल सहारण लगभग दो वर्ष पूर्व 15 अगस्त को तारानगर में एक सांस्कृतिक कार्यक्रम में उपखण्ड अधिकारी से सम्मानित हो चुके है तथा पिछले वर्ष 15 अगस्त को भी इनको जिला स्तर पर सम्मानित किया जाना था लेकिन अपने पौधों की देखभाल के लालच में जिला स्तरीय कार्यक्रम में नहीं पहुंच पाए और सम्मानित होने से वंचित रह गए। चम्पालाल का गांव तारानगर से 15 किलोमीटर की दूरी है ये पौधे लाने में भी कतई आलस नही करते अपने गांव से तारानगर नर्सरी के लिए पौधे लाने के लिए पैदल ही चल पड़ते है और जितने पौधे इनसे चल पाते है उतने अपने कंधे पर उठाकर वापिस पैदल ही अपने गांव की तरफ चल पड़ते है। चम्पालाल ने गांव की सरकारी स्कूल मैदान में अपनी मेहनत से कंटीली दीवार कर एक नर्सरी बना रखी है जिनमे काफी फलदार, छायादार व फूलदार पौधे लगा रखे है। जिनमें पानी भी दूर से लाकर डालते है। 

  • भीषण गर्मी में घरों का नहाने व रसोई से निकले पानी का करते है उपयोग
    इस प्रकृति प्रेमी शख्सियत का कहना है कि गांव में गर्मियों के चलते पानी की किल्लत आ जाती है तो मैं गांव में घरों का नहाने धोने का जो गन्दा पानी इकठ्ठा होता है वो डिब्बो में डालकर ले आता हूँ और पौधों को पानी डालता हूँ। सहारण ने आगे बताया कि जितनी उनकी याद के अनुसार वे लगभग 4000 पौधे लगा चुके है। इनको इतना ही याद है क्योंकि इनको 5 वर्ष की आयु में ही पेड़ पौधों से प्यार हो गया था अर्थात 5 साल की उम्र में ये पर्यावरण प्रेमी बन गए थे। इन्होंने अपना बचपन, जवानी पेड़ पौधों के साथ ही बिताए है और अब वर्तमान में भी ये 87 साल की उम्र में भी सिर्फ पौधे लगाते है और अपने लगाए हुए पौधों की देखभाल में ही लगे रहते है। सहारण का कहना है कि उनको 15 अगस्त के लिए चूरू जाने का बुलावा आया है वहाँ उन्हें जिलास्तर पर सम्मानित किया जावेगा।

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