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भापर गाँव में लाडो को घोड़ी पर बैठाकर बिंदोरी निकाली

सूरजगढ़, आमतौर पर विवाह के समय दूल्हे को ही घोड़ी पर बैठाया जाता है, लेकिन बदलते परिवेश में बेटियों को भी घोड़ी पर बैठाकर समानता का संदेश दिया जा रहा है। काजड़ा ग्राम पंचायत के भापर गाँव में चिरंजीलाल मेघवाल ने अपनी पुत्री मीरा को घोड़ी पर बैठाकर डीजे के साथ बिंदोरी निकाल कर समाज में बेटियों के प्रति सम्मान को दर्शाया है। ‘बेटी हमारा अभिमान’ को उजागर करने में और बेटी का गौरव बढ़ाने में चिरंजीलाल के भाई जगदीश प्रसाद, हवासिंह और ताराचंद का भी सहयोग रहा। चिरंजीलाल मेघवाल के परिवार का कहना है कि हमने मीरा को अच्छे से लिखाया और पढ़ाया है। अब शादी के समय भी हम एहसास करा रहे हैं कि वह बेटों से कम नहीं है। बेटा और बेटी में कोई अंतर नहीं है। समाज में जितना अधिकार बेटों को है, उतना ही अधिकार बेटियों को भी दिया जाये। घोड़ी पर चढ़ते हुए मीरा ने कहा- मैं यह संदेश देना चाहती हूं कि लड़कियां अपने परिवार के लिए कभी बोझ नहीं होती हैं। सभी को सोचना चाहिए कि लड़कियां भी लड़कों के बराबर होती हैं, इसलिए उन्हें भी उतना ही सम्मान मिलना चाहिए जितना लड़कों को दिया जाता है। आज महिलाएं किसी से कम नहीं हैं। बेटियां हर क्षेत्र में बड़े-बड़े मुकाम हासिल कर परिवार, समाज और देश का नाम रोशन कर रही हैं। इस अवसर पर मुकेश कुमार, चुन्नीलाल, दरिया सिंह, बंशीलाल, राजेश, राजकुमार, हरिराम, विक्रम कुमार, सहकारी समिति सदस्य कपिल देव, आर्यन, संदीप महला, दीपक, सचिन सैन, मनोज सैन, सुनीता, पतासी, मंजू, बबीता, पूजा व बहुत संख्या में महिला और पुरुष मौजूद रहे। ग्रामवासियों ने बेटी को घोड़ी पर बैठाकर बिंदोरी निकालने की खूब सराहना की है।

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