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भारतीय राजनीति के शिखर पुरूष स्वतंत्रता सेनानी बाबू जगजीवन राम की जयंती मनाई

आदर्श समाज समिति इंडिया के तत्वाधान में

झुंझुनू, आदर्श समाज समिति इंडिया के तत्वाधान में गाँधी कृषि फार्म सूरजगढ़ में भारतीय राजनीति के क्षितिज पर छाने वाले महान क्रांतिकारी नेता, देश के प्रथम दलित उप प्रधानमंत्री व देश के प्रथम श्रम मंत्री, भारत पाकिस्तान युद्ध की ऐतिहासिक जीत के हीरो तत्कालीन रक्षा मंत्री, मजदूरों व दलितों के मसीहा, महान समाज सुधारक, आधुनिक भारत के निर्माता, संविधान निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले संविधान सभा के सदस्य, स्वतंत्रता सेनानी बाबू जगजीवन राम की जयंती मनाई। राष्ट्र निर्माण व दलितों के उत्थान और स्वाधीनता आंदोलन में बाबू जगजीवन राम के योगदान को याद करते हुए सुनिल गाँधी ने कहा- मजदूरों व दलितों के मसीहा बाबू जगजीवन राम का राजनीतिक सफर महज 28 साल की उम्र में शुरू हो गया जब वो 1936 में बिहार प्रांतीय विधानसभा के सदस्य बने। बाबू जगजीवन राम के संसदीय जीवन का इतिहास 50 साल का रहा, जो एक विश्व रिकॉर्ड है। 1937 से 1979 तक लगातार कैबिनेट के सदस्य बने रहने का रिकॉर्ड भी बाबू जगजीवन राम के नाम पर है। 1946 में नेहरूजी की प्रोविजनल कैबिनेट में जगजीवन राम सबसे युवा मंत्री के रूप में शामिल हुए थे। जनता के साथ-साथ वो सांसदों के बीच भी लोकप्रिय बने रहे। आदर्श समाज समिति इंडिया के अध्यक्ष धर्मपाल गाँधी ने बताया कि भारतीय राजनीति के कई शीर्ष पदों पर आसीन रहे बाबू जगजीवन राम न सिर्फ एक सामाजिक कार्यकर्ता, स्वतंत्रता सेनानी, कुशल राजनीतिज्ञ, सांसद, सक्षम मंत्री एवं योग्य प्रशासक रहे बल्कि कुशल संगठनकर्ता, सामाजिक विचारक और सफल वक्ता भी थे। आधुनिक भारतीय राजनीति के शिखर पुरूष जिन्हें आदर से ‘बाबूजी’ के नाम से संबोधित किया जाता था। लगभग 50 वर्षों के संसदीय जीवन में राष्ट्र के प्रति उनका समर्पण और निष्ठा बेमिसाल है। उनका संपूर्ण जीवन राजनीतिक, सामाजिक सक्रियता और विशिष्ट उपलब्धियों से भरा हुआ है। बाबू जगजीवन राम ने दलित होने के नाते बचपन से ही सामाजिक स्तर पर होने वाले भेदभाव का सामना किया था, लेकिन इस भेदभाव के खिलाफ लड़ाई करते हुए उन्होंने कभी भी किसी समुदाय के प्रति दुराभाव नहीं दिखाया। रेल मंत्री के रूप में उन्होंने रेलवे स्टेशनों पर हिंदू और मुस्लिम पानी की व्यवस्था को खत्म कर के दलित महिला को पानी पिलाने के लिए नियुक्त किया था। आजादी के आंदोलन के दौरान जिन नेताओं ने भारत के भविष्य को गढ़ने में ऐतिहासिक योगदान दिया, उनमें बाबू जगजीवन राम का नाम अगली पंक्ति में शामिल है। आज भी उनके जिक्र के साथ 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध की याद आना स्वाभाविक है। एक सफल रक्षा मंत्री के तौर पर बाबू जगजीवन राम ने पाकिस्तान को बुरी तरह परास्त करने में बड़ी भूमिका निभाई थी। आजादी के बाद भारतीय राजनीति में ऐसे कम ही नेता रहे हैं जिन्होंने न केवल मंत्री के रूप में अकेले कई मंत्रालयों की चुनौतियों को स्वीकारा बल्कि उन चुनौतियों को अंतिम अंजाम तक पहुंचाया। भारतीय राजनीति के शिखर पुरुष रहे जगजीवन राम को मंत्री के रूप में जो भी विभाग मिला उन्होंने अपनी प्रशासनिक दक्षता से उसका सफल संचालन किया। बाबू जगजीवन राम का एक ऐसा व्यक्तित्व था कि जो वह एक बार ठान लेते थे उसे पूरा करके ही छोड़ते थे। उनमें संघर्ष का जबरदस्त माद्दा था। चुनौतियों का सामना करना उन्हें भाता था। उनके व्यक्तित्व ने अन्याय से कभी समझौता नहीं किया। वह हमेशा दलितों के सम्मान के लिए संघर्षरत रहे। राष्ट्र सेवा में जीवन समर्पित करने वाले ऐसे महापुरुष को हम बार-बार नमन करते हैं। इस मौके पर आदर्श समाज समिति इंडिया के अध्यक्ष धर्मपाल गाँधी, अमर सिंह गजराज, संतोष कुमार, विनोद कुमार, रामलखन, पूजा, सुनील गाँधी, जमना, अंजू गांधी, दिनेश कुमार, अमित कुमार, रोहतास, अनूप कुमार आदि अन्य लोग मौजूद रहे।

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