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भूदान आंदोलन के प्रणेता भारत रत्न आचार्य विनोबा भावे की पुण्यतिथि मनाई

भूदान आंदोलन के प्रणेता भारत रत्न आचार्य विनोबा भावे की पुण्यतिथि मनाई

झुंझुनू, राष्ट्रीय साहित्यिक व सामाजिक संस्थान आदर्श समाज समिति इंडिया के तत्वाधान में संस्थान के कार्यालय लोहारू रोड़ सूरजगढ़ में शिक्षाविद् रामस्वरूप आसलवासिया की अध्यक्षता में प्रथम रेमन मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित महान सामाजिक कार्यकर्ता, उत्कृष्ट वक्ता, लेखक, महात्मा गांधी के आध्यात्मिक उत्तराधिकारी, भूदान आंदोलन के प्रणेता, महान विचारक, स्वतंत्रता सेनानी भारत रत्न विनोबा भावे की पुण्यतिथि मनाई। इसी क्रम में देश की प्रथम महिला बैरिस्टर व समाज सुधारक कार्नेलिया सोराबजी और आदिवासी क्रांतिकारी बिरसा मुंडा की जयंती मनाई। वीर तेजाजी संस्थान के अध्यक्ष जगदेव सिंह खरड़िया व शिक्षाविद् रामस्वरूप आसलवासिया ने विनोबा भावे के जीवन पर प्रकाश डालते हुए बताया कि आचार्य विनोबा भावे की गिनती देश के सबसे महान स्वतंत्रता सेनानियों और समाज सेवकों में होती है। वह महात्मा गांधी के अनुयायी थे और पूरी जिंदगी उन्हीं की तरह सत्य और अहिंसा की राह पर चलते हुए, गरीब और बेसहारा लोगों के लिए लड़ते रहे। महात्मा गांधी के प्रिय विनोबा भावे ने शोषण मुक्त समाज व्यवस्था का सपना देखा और ‘जय जगत’ का नारा दिया। उन्होंने सर्वोदय समाज की स्थापना की। यह रचनात्मक कार्यकर्ताओं का अखिल भारतीय संघ था। इसका उद्देश्य अहिंसात्मक तरीके से देश में सामाजिक परिवर्तन लाना था। स्वतंत्रता के पश्चात् असमानता से उत्पन्न आर्थिक विषमता के कारण गरीब मजदूरों व कृषकों की दशा अत्यंत दयनीय हो गई। भूमिहीन कृषकों की दशा सुधारने हेतु विनोबा भावे ने 1951 में भूदान तथा ग्रामदान आंदोलनों की शुरुआत की, जिससे भूमिहीन निर्धन किसान समाज की मुख्य धारा से जुड़कर गरिमामय जीवनयापन कर सकें। भूदान आंदोलन ने भारत के इतिहास में एक नये अध्याय का इजाफा किया। यह सामाजिक त्याग का बहुत बड़ा आंदोलन था, जिसकी दुनियां भर में तारीफ की गई। देश की प्रथम महिला कार्नेलिया सोराबजी के बारे में जानकारी देते हुए धर्मपाल गांधी ने बताया कि देश की प्रथम महिला अधिवक्ता कार्नेलिया सोराबजी का जन्म 15 नवंबर 1866 को नासिक महाराष्ट्र में हुआ था। भारत की पहली महिला बैरिस्टर कार्नेलिया सोराबजी की वजह से ही देश में महिलाओं को वकालत का अधिकार मिला था। उन्होंने कई किताबें लिखीं और महिलाओं की शिक्षा के लिए संघर्ष किया। वे एक एडवोकेट होने के साथ ही समाज सुधारक और लेखिका भी थीं। ऑक्सफोर्ड जाकर कानून की पढ़ाई करने वाली भी वह देश की प्रथम महिला थीं। ऑक्सफर्ड में पढ़ाई के लिए उन्हें स्कॉलरशिप नहीं मिली तो उन्होंने इसके खिलाफ भी लड़ाई लड़ी। वे न सिर्फ भारत और लंदन में लॉ की प्रेक्टिस करने वाली पहली महिला थीं, बल्कि वे बॉम्बे यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएट होने वाली पहली युवती, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से कानून की पढ़ाई करने वाली पहली महिला और ब्रिटिश यूनिवर्सिटी से पढ़ाई करने वाली पहली भारतीय भी थीं। अपनी प्रतिभा की बदौलत उन्होंने महिलाओं को कानूनी परामर्श देना आरंभ किया और महिलाओं को वकालत करने का अधिकार दिलाया। स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान अंग्रेजों के दमन के विरुद्ध क्रांति का बिगुल बजाने वाले आदिवासी क्रांतिकारी बिरसा मुंडा को उनकी जयंती पर याद किया। इस मौके पर आदर्श समाज समिति इंडिया के अध्यक्ष धर्मपाल गांधी, जगदेव सिंह खरड़िया, रामस्वरूप मास्टर, प्रताप सिंह तंवर, रणवीर सिंह ठेकेदार, गौरीशंकर सैनी, बुद्धराम, सतीश कुमार, रवि कुमार, दिनेश आदि अन्य लोग मौजूद रहे।

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