परिवार में इकलौता था कमाने वाला
इलाज के अभाव में मरणासन्न अवस्था में युवक
दातारामगढ़ [अरविन्द कुमार] दातारामगढ़ इलाके के सूलियावास गांव का रहने वाला गिरधारी सिंह राजपूत 4 वर्ष पहले एक सड़क दुर्घटना का शिकार हो गया था, जिसमें उसके सर में गंभीर चोटें आई थी,जिसका इलाज जयपुर के एसएमएस अस्पताल में जारी रहा,लेकिन दुर्घटना के दौरान ही वह कोमा में चला गया था। परिवार में वह इकलौता ही कमाने वाला था उसके एक बुजुर्ग माता पिता सहित पत्नी व दो बच्चे परिवार में है। गिरधारी सिंह के पिता मोहन सिंह ने बताया कि बड़े बेटे की तो पहले ही कैंसर रोग के चलते मौत हो चुकी है और 4 वर्षों में गिरधारी सिंह के इलाज में 13 बीघा जमीन जो उनके पास थी उसे वह बेच चुके हैं लेकिन आज आर्थिक स्थिति इतनी कमजोर हो चुकी है कि अब इस परिवार के खाने के लाले पड़ गए हैं और गिरधारी सिंह का इलाज करवाना तो दूर 2 टाईम की रोटी के लिए भी बड़ी परेशानी हो रही है। उन्होंने बताया कि जयपुर एसएमएस. चिकित्सालय में करीब 6 महीने तक गिरधारी सिंह को भर्ती रखा गया था जिसके दौरान ही उनकी 13 बीघा जमीन इलाज में बिक गई। अब परिवार के पास कमाई का कोई साधन नहीं है। गिरधारी सिंह को हर सप्ताह चिकित्सकों द्वारा लगाई गई नलकियो को बदलवाना पड़ता है तथा हर माह दवाई भी चल रही है लेकिन कुल मिलाकर पूरे माह में 6 से 7000 रु का खर्च आता है। पैसे नहीं होने के कारण जो नलकिया 7 दिन में बदलवानी जरूरी थी उन्हें वह 2 से 3 माह में बदलवा रहे हैं जिसके कारण इंफेक्शन का खतरा बढ़ गया है। लेकिन उनकी मदद करने के लिए कोई आगे नहीं आ रहा है यहां तक कि यह परिवार खाद्य सुरक्षा से जुड़ा हुआ भी नहीं है करीब साल भर पहले बुजुर्ग मोहन सिंह ने सुलियावास अटल सेवा केंद्र में ईमित्र संचालक भागीरथ पालीवाल को खाद्य सुरक्षा में जोड़ने के लिए जरूरी दस्तावेज दिए थे लेकिन आज तक उसे खाद्य सुरक्षा में भी जोड़ा नहीं गया है जिसके चलते सरकारी लाभ भी उसे नहीं मिल पा रहा है। गिरधारी सिंह के दो बच्चे हैं जिनकी उम्र तकरीबन 7 से 8 वर्ष है लेकिन इस परिवार के पास खाने के भी लाले पड़ गए हैं तो इन बच्चों की शिक्षा भी नहीं हो पा रही है। ऐसे में इस परिवार की मदद के लिए भामाशाहओं का आगे आना बहुत ही आवश्यक है साथ ही प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा इस परिवार को सरकारी सुविधाएं दिलवाने के साथ ही खाद्य सुरक्षा में जोड़ना भी जरूरी हो गया है।