बगड़ के निकटवर्ती चारणबास में नवरात्राके अवसर पर भागवत कथा का आयोजन किया जा रहा है जिसमे व्यास पीठ से बोलते हुए महाराज ने कहा कि स्वयं के स्वरूप को जानने का नाम ही आध्यात्म योग है। असल में जब मनुष्य संसार चक्र के माया मोह से निकलकर परमात्मा से एक होना चाहे यह आध्यात्म योग की स्थति है। उक्त विवेचन वाणीभूषण प्रभुशरण तिवाड़ी ने नवरात्र के अवसर पर चारणबास में कर्नल गणपतसिंह के निज निवास पर चल रही भागवत कथा में व्यास पीठ से दूसरे दिन कपिल देवहूति कथा में किया। कथा व्यास तिवाड़ी ने ईश्वर को समुद्र के समान व प्राणी को बूंद के समान बताकर वैज्ञानिक विश्लेषण किया। इस अवसर पर भगवान विष्णु-ध्रुव की सजीव झांकी प्रस्तुत की गई।