चैक अनादरण पर एक वर्ष का कारावास सहित छः लाख रू के जुर्माने के आदेश
बड़ौदा राजस्थान क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक से ट्रेक्टर ऋण अदायगी पेटे दिया था ऋणी ने चैक
कोटा, बड़ौदा राजस्थान क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक की शाखा सांगोद के ऋणी महावीर पुत्र भंवरलाल जाति बलाई, निवासी अमृतकुआं तहसील सांगोद जिला कोटा को 17 जुलाई 2008 को ट्रेक्टर खरीद पेटे रू 4,50,000/- का ऋण दिया था। ऋणी ने कुछ समय बाद बैंक को ऋण की किश्ते अदा करना बन्द कर दिया। बैंक द्वारा ऋणी से बार-बार तकाजे उपरान्त शाखा प्रबन्धक को ऋण अदायगी पेटे अपने बचत खाते का रू तीन लाख का चैक दिया जो ऋणी के खाते में अपर्याप्त धनराशि होने के कारण अनादरित हो गया। बैंक के क्षेत्रीय प्रबन्धक के.एल.अग्रवाल ने बताया कि बैंक ने चैक राशि का भुगतान करने के लिए ऋणी से तकाजा भी किया किन्तु ऋणी ने चैक राशि का भुगतान नहीं किया। अन्ततः बैंक ने ऋणी के विरूद्व सक्षम न्यायालय में परक्राम्य लिखित अधिनियम की धारा-138 के तहत वाद दायर कर दिया। माननीय वरिष्ठ सिविल न्यायाधीश एवं अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट सांगोद जिला कोटा द्वारा सुनवाई के दौरान उभय पक्षों को पर्याप्त अवसर देते हुए उनके तर्कों पर मनन किया गया तथा अवलोकन से न्यायालय के विनम्र मत में समाज में धारा 138 एन.आई.एक्ट के तहत बढ़ते हुए अपराधों को दृष्टिगत रखते हुए निम्नानुसार निर्णय व दण्डादेश शुक्रवार दिनांक 07.02.2020 को खुले न्यायालय में लिखवाया जाकर हस्ताक्षरित कर सुनाया गया । ‘परक्राम्य लिखित अधिनियम की धारा 138 के तहत कारित अपराध के लिए दोषसिद्ध घोषित किये जाते हुए अभियुक्त को एक वर्ष के साधारण कारावास से दण्डित किया जाता है तथा अभियुक्त द्वारा परिवादी बड़ौदा राजस्थान क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक सांगोद को बतौर क्षतिपूर्ति के रू छःलाख अदा करें तथा अदम अदायगी क्षतिपूर्ति की सूरत में अभियुक्त को तीन माह का साधारण कारावास अतिरिक्त भुगताया जावे तथा बाद गुजरने म्याद अपील अवधि क्षतिपूर्ति की सम्पूर्ण राशि रू 6,00,000/- अक्षरे रू छः लाख परिवादी बड़ौदा राजस्थान क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक शाखा सांगोद को दिलाई जावे। अभियुक्त के द्वारा इस मामले में न्यायिक अभिरक्षा अथवा पुलिस अभिरक्षा की अवधि यदि कोई व्यतीत की है तो उसको धारा 428 सी आर पी सी के तहत कारावास की सजा में समायोजित किया जावे।‘‘