समस्त जिला कलेक्टरर्स को
सीकर, मुख्य सचिव उषा शर्मा ने आदेश जारी कर समस्त जिला कलेक्टरर्स को निर्देश दिए है कि वर्तमान में गौवंशीय पशुओं में लम्पी स्कीन डिजीज फैली हुई है जिसके नियंत्रण एवं प्रभावी रोकथाम के लिए दवाओं की व्यवस्था, गौशालाओं व पशुगृहों की नियमित साफ सफाई, बीमा पशुओं को स्वस्थ पशुओं से पृथक रखना, पशु चिकित्सकों से ईलाज कराना आदि के साथ साथ मृत पशुओं का सही तरीके से निस्तारण करने के बजाय उन्हें जमीन के अंदर दफनाने की व्यवस्था किया जाना बेहद जरूरी है। मृत पशुओं को सही तरीके से दफनाने की व्यवस्था ग्रामीण क्षेत्रों में ग्राम पंचायतो द्वारा एवं शहरी क्षेत्रों में शहरी स्थानीय निकायों द्वारा सुनिश्चित किया जाना अपेक्षित है।
उन्होंने बताया कि षष्ठम् राज्य वित्त आयोग, राजस्थान की सिफारिश के अनुसार पंचायती राज संस्थाओं को देय अनुदान के उपयोग के लिए ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग के आदेशानुसार साफ सफाई, स्वस्च्छता के लिए एसएफसी अनुदान से ग्राम पंचायतों धनराशि व्यय बाबत अनुमत किया गया है। मृत पशुआें के सही एवं वैज्ञानिक विधि से निस्तारण एवं अन्य आवश्यक सेनीटेशन गतिविधियों के लिए आवश्यक धनराशि एसएफसी मद से व्यय की जा सकती है।आदेशानुसार बीमार पशुओं को समय पर ईलाज सुनिश्चित करने तथा अन्य कार्यवाही के लिए जिला स्तर पर दर निर्धारण आदि के लिए जिला कलेक्टर की अध्यक्षता में निम्नानुसार एक समिति का गठन किया जाता है। समिति के
जिला कलेक्टर-अध्यक्ष, मुख्य कार्यकारी अधिकारी, जिला परिषद- सदस्य, जिला कोषाधिकारी- सदस्य, जिला अधिकारी पशुपालन विभाग सदस्य सचिव, जिला स्तर पर शहरी स्थानीय निकाय के अधिकारी सदस्य होंगे। समिति जिला स्तर पर रोग के नियंत्रण, रोकथाम के लिए आवश्यक दवाओं, मृत, पशुओं को जमीन मेंं दफनाने अथवा अन्य वैज्ञानिक विधि से निस्तारण, दवाओं के किट बनाने व उनकी दर का निर्धारण, अनुश्रवण आदि को सुनिश्चित किया जा सकेगा। इसके अतिरिक्त रोग के प्रति आमजन में व्याप्त भ्रांतियों को दूर करने के लिए आवश्यक प्रचार-प्रसार कार्य भी शहरी स्वायतशाषी, पंचायत राज संस्थानों के माध्यम से सुनिश्चित किया जाएगा।