अपर सेंशन न्यायाधीश संख्या एक झुंझुनूं सोनिया बेनीवाल द्वारा
झुंझुनूं, अपर सेंशन न्यायाधीश संख्या एक झुंझुनूं सोनिया बेनीवाल द्वारा गुरूवार को दिये निर्णय में दहेज के लिये अपनी पत्नी की हत्या करने के आरोपी पति जुबेर पुत्र फारूक व मृतका के श्वसुर फारूक पुत्र बशीर अहमद सब्जीफरोश निवासीगण मोहल्ला बटवालान वार्ड नम्बर 27 झुंझुनूं को आजीवन कारावास की सजा दी है। मामले के अनुसार 6 अगस्त 2017 को शबनम बानो पत्नी बशीर रहमानी निवासी वार्ड नम्बर 26 झुंझुनूं ने झुंझुनूं कोतवाली में एक रिपोर्ट दी कि उसकी पुत्री मेहरूनिशा का निकाह 24 जनवरी 2016 को जुबेर पुत्र फारूक के साथ समाज में प्रचलित रिति रिवाज के साथ हुआ था। निकाह के समय हमने हमारी बेटी को काफी सामान दहेज के रूप में दिया था। निकाह के बाद उसकी पुत्री विदा होकर अपने ससुराल में अपने पति के साथ चली गयी तो लड़की के पति जुबेर, श्वसुर फारूक, सास हुस्ना बानो आदि उससे कहने लग गये कि तुम्हारे पिता ने इतना सामान दहेज में दिया है इसको हमारे पास रखने की जगह नही है, इसलिये तुम अपने पिता से 50 लाख रूपये नगद लेकर आओ जिससे हम तुम्हारे पिता ने, जो प्लाट दिया है उसमें अपने रहने के लिये अलग से मकान बनवा ले। यह बात लड़की ने अपनी माता व पिता को बतायी तो हमने कहा कि बेटी अभी हमारे पास इतने रूपये नही है, आगे कोई काम पड़ेगा तो यह मांग पूरी करेंगे। यह बात मेरी लड़की ने जब अपने ससुराल वालो को बतायी तो उन्होंने मेरी पुत्री को कहा कि हमे तो अभी रूपये चाहिये, इसके बाद मेरी लड़की के साथ सास-श्वसुर, पति आदि तंग व परेशान करने लग गये तथा मारपीट करने लग गये। उस वक्त उसकी लड़की 5-6 महिने की गर्भवती थी। 4 अगस्त 2017 को दोपहर को उसकी लड़की को टेलीफोन आया और फोन पर बताया कि उसके साथ उसके पति, सास व श्वसुर आदि मारपीट कर रहे है और कह रहे है कि अभी अपने पिता से 50 लाख रूपये मंगवा नही तो तेरे को जान से मार देंगे। मेने मेरी लड़की से कहा कि बेटी मैं तेरे पिता से कहकर जल्दी से रूपये की व्यवस्था करती हॅँॅू, तू तेरे पति व श्वसुर से मेरी बात करवा तो टेलीफोन पर एक साथ मेरी लड़की के पति, श्वसुर, सास की आवाज आयी व मुझे सुनायी दी कि हम तेरी मम्मी से कोई बात नही करना चाहते है, और मेरी लड़की के हाथ से फोन छिन लिया। इसके दो-तीन घंटे बाद फोन आया कि तुम्हारी लड़की की तबीयत ज्यादा खराब हो रही है, उसकेा अस्पताल ले जा रहे है तब मेरा पति व लड़का अस्पताल गये तथा अस्पताल में उसकी लड़की को देखा तो चिकित्सक ने बताया कि वह मर चुकी है। यही नही उसके बाद उसकी लड़की का शव उसके ससुराल वाले ले जाकर उसको दफना दिया। अब उसे पता चला है कि उसकी लड़की के ससुराल वालो ने उसकी लड़की का बिना शव परिक्षण कराये उसका शव दफना दिया। अत: उसकी पुत्री मेहररूनिशा का शव कब्रिस्तान से निकलवाकर, पोस्टमार्टम करवा कर दोषियों के विरूद्ध कार्यवाही की जाये। पुलिस ने इस रिपोर्ट पर मामला दर्ज जांच शुरू की व मृतका का शव हाण्डिसा कब्रिस्तान से बाहर निकलवाकर उसका पोस्टमार्टम मेडिकल बोर्ड से करवाया गया तथा बाद जांच पुलिस ने पति जुबेर अली, सास हुस्ना बानो व श्वसुर फारूक अली के विरूद्ध सम्बन्धित न्यायालय में चालान पेश कर दिया। ट्रायल के दौरान सास हुस्ना बानो की मृत्यु हो गयी थी। इस्तगासा पक्ष की तरफ से पैरवी कर रहे राज्य सरकार के सहायक निदेशक अभियोजन कमल किशोर शर्मा व मृतका की तरफ से पैरवी कर रहे गोकुलचंद सैनी ने कुल 15 गवाहान के बयान करवाये तथा 104 दस्तावेज प्रदर्शित करवाये। सहायक निदेशक कमल किशोर शर्मा व गोकुलचंद सैनी ने न्यायालय में तर्क दिया कि मृतका मेहरूनिशा गर्भवती थी इसलिये मृतका की मृत्यु के साथ-साथ गर्भ में पल रहे शिशु की भी मृत्यु हो गयी। मामला गंभीर किस्म का है इसलिये दोषियों को सख्त से सख्त सजा दी जाये। न्यायाधीश ने पत्रावली पर आई साक्ष्य का बारिकी से विश£ेषण करते हुये पति जुबेर व श्वसुर फारूक को आजीवन सजा देने के साथ-साथ एक-एक लाख रूपये का जुर्माना, धारा 315 में पांच-पाचं वर्ष की सजा, धारा 498ए में दो-दो वर्ष, धारा 201 में तीन-तीन वर्ष व धारा 406 में दो-दो वर्ष का और कारावास देते हुये सभी सजाये साथ-साथ भुगतने का आदेश दिया।