श्री दिगंबर जैन नया मंदिर में
सीकर, सीकर के बजाज रोड स्थित श्री दिगंबर जैन नया मंदिर में धर्म प्रभावना के लिए आये आर्यिका सुदृढ मति माता जी ने प्रातः कालीन प्रवचन के दौरान बताया कि किस समय क्या,क्यों,कहा,कब,कैसे का विवेक होना चाहिए। अभाव में मनुष्य को आवश्यकता का पता लगता है अविष्कार मनुष्य को गुलाम बनाता है आवश्यकता और आकांक्षाओं की कोई सीमा नहीं होती जिस प्रकार आधुनिक उपयोग के साधन जैसे मोबाइल एसी आदि पाबंदियां जीवन के लिए जरूरी है संयम के पालन से मनुष्य में आत्मशक्ति आत्माबल आता है मनुष्य शरीर का कल्याण करने में लगा है जबकि शरीर नश्वर है आत्मा का कल्याण करना चाहिए संयम स्वयं से जोड़ता है संस्कार के ऊपर कहा कि बच्चों को कार नहीं संस्कार देना चाहिए।
आर्यिका सुस्वर मति माता जी ने बताया कि धर्म से जीवन का कल्याण होता है धर्म को जिसने जाना वह अपना कल्याण तो करता ही है साथ में अपने से जुड़े हुए लोगों का भी कल्याण करता है धर्म में रूढ़िवादी नहीं होती धर्म के मर्म को जानना पड़ता है धर्म उत्तम सुख देता है और दुख से छुटकारा दिलाता है। पाप से पुण्य ओर ले जाना ही धर्म है परी ग्रह में सुख नहीं है जीवन यदि अनुकूल है तो धार्मिक कार्य में भी समय देना चाहिए। आज की आहार चर्या विजय रोबिन छाबड़ा कमल विनोद संगही के यहां हुई दोपहर में माता जी ससघ के द्वारा धार्मिक शास्त्रों का वाचन किया गया संध्याकालीन गुरु भक्ति की गई और बच्चों के लिए धार्मिक प्रश्न मंच प्रतियोगिता आयोजन किया गया।