लोहिया हवेली चूरू में चल रही कथा के पांचवे दिन पूज्य राघव ऋषि महाराज ने नन्द महोत्सव का शुभारम्भ किया तो सम्पूर्ण पाण्डाल वृजमय बन गया। पुष्पवृष्टि व गुलाल आदि से लोगों ने बालकृष्ण भगवान का जन्मोत्सव मानाया। नन्द अर्थात् जो सभी को आन्नद दे। मनुष्य जन्म सभी को आन्नद देने के लिए है। भगवान ने बाललीला में सबसे पहले पूतना का वध किया। पूतना अर्थात् जो पवित्र नहीं है वो है पूतना। संसार में रहते हुए समस्त ज्ञान प्राप्त किया परन्तु भगवान का ज्ञान नहीं है तो उसका जीवन अपवित्र है। जिसकी आकृति तो सुन्दर है एंव कुतिबुरी है, वही पूतना है। शरीर बाहर सेतो सुन्दर है किन्तु हदय विष से भरा हुआ है वही पूतना है। कथा स्थल पर माखन की हांडी भगवान ने फोडकर सभी को प्रसाद बांटा।