बच्चे स्वाभाविक रूप से कलाकार होते हैं, उन पर अभिभावाकों को किसी भी तरह का दबाव नहीं बनाना चाहिए। यह सुखद है कि आजकल के अभिभावक बच्चों के कैरियर एवं रोजगार के प्रति चिंतित रहते है, परंतु उन्हें यह भी समझना चाहिए कि बच्चों में कला के संस्कार भी नैसर्गिक होते हैं। उक्त विचार जिला कलेक्टर मुक्तानंद अग्रवाल ने स्थानीय प्रयास संस्थान की ओर से आरडीबी फाउण्डेशन, कोलकाता के सौजन्य से आयोजित सात दिवसीय प्रयास-आरडीबी चित्रकला कार्यशाला के समापन अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि व्यक्त किए। शनिवार दोपहर स्थानीय सूचना केंद्र में आयोजित कार्यशाला के समापन अवसर पर बोलते हुए जिला कलेक्टर ने बच्चों के भविष्य के प्रति ज्यादा चिंतिंत अभिभावक को संबोधित करते हुए कहा कि हमें समझना चाहिए कि बच्चों की नैसर्गिक प्रतिभा को अगर विकास मिला तो हो सकता है कि इन बच्चों में ही कोई भविष्य का पिकासो मिल जाए। इससे पूर्व जिला कलेक्टर ने कार्यशाला में बच्चों द्वारा बनाए चित्रों की प्रदर्शनी का अवलोकन किया और प्रत्येक बच्चे से उनके द्वारा बनाए चित्रों की सोच को समझा। जिला कलेक्टर ने समारोह में सभी प्रतिभागी बच्चों को सहभागिता प्रमाण-पत्र, मैडल एवं बाल साहित्य देकर सम्मानित किया। वहीं जिला कलेक्टर ने प्रशिक्षक रामकिशन अडिग, राजेंद्र सुथार, पुनीत कुमार का भी शॉल ओढाकर सम्मानित किया। समारोह में कार्यशाला संयोजक डॉ. कृष्णा जाखड़ ने अतिथियों एवं अभिभावकों का स्वागत किया।