झुंझुनूताजा खबरलेखशेष प्रदेश

कोरोना महामारी पर आंखे खोलने वाली युवा लेखिका की कुछ पंक्तियाँ

लेखिका – महिमा यादव ‘माही’ बहरोड़ अलवर

वीडियो पर प्रस्तुति भी देख सकते है शेखावाटी लाइव पर

खाली सड़क देख कर मन में उठा सवाल हैं… जो सड़को पर ही बसते हैं, उनका क्या हाल हैं…
उनकी हंसी आजकल कुछ यूँ उड़ाई जाती हैं, एक रोटी देकर केे सौ तस्वीर खींचाई जाती है..
मदद करो आगे आओ ,यूँ देख कर केे कोरोना को तुम ऐसे ना घभराओ .. सेनेटाइज कर करके इससे तुम निजात पाओ!!!

एक मुदत से आरजू कि कब फुर्सत मिले ,मिली फुर्सत तो इस शर्त पर कि किसी से ना मिले…
देश की रक्षा करने वालों को इस देश से सम्मान मिले… एक एक को बचाने को वो देखो सीना तान चले!!!

सारे मुल्को को नाज था अपने- अपने परमाणु पर, अब कायनात बेबस हो गयी छोटे से किटाणु पर.., डरना नहीं ..
भगाना इसको , ये जनता पर भारी हैं..,, दूर रहो और साफ़ रहो .. क्यूंकि यह एक महमारी हैं!!!

कोरोना की जंग सब पर भारी हैं…, विजय वहीं हैं जिसने की अपनी ही रखावली हैं…, सड़क पर निकलने वालो ..
कान खोल कर सुन लो , गुजर गये वो आज तो ..कल तुम्हारी बारी हैं!!!

रफ़्तार ना थमी तो,हम फिर नहीं मिलेंगे, कुदरत केे इन करिश्‌मो में फिर गुल कैसे खिलेंगे..,,
कुछ दिनों की दूरी हैं,फिर जीवन भर मिलेंगे.., सब अगर दो साथ तो भारत को विजयी करेंगें !!

Related Articles

Back to top button