कलेक्टर साहब ऐसे लोगो के लिए भी कुछ करोना
झुंझुनू, झुंझुनू प्रशासन की नाकामी आई सामने भूखे प्यासे गरीब लोग छोड़ रहे हैं झुंझुनू। नहीं मिल रहा है उनको खाना पैदल ही चल दिए दूसरे राज्यों की ओर उनका साफ कहना है कि चार रोज से भूखे बैठे हैं लेकिन प्रशासन की ओर से कोई मदद नहीं मिली। अब भगवान भरोसे पर अपने घरों की ओर चल दिए हैं ताकि कम से कम जान तो बचा सके। झुंझुनू प्रशासन केवल भामाशाह से चंदा इकट्ठा करने में लगा है और अपनी पीठ थपथपा रहा है जबकि उनको भूखे प्यासे गरीब लोगों की कोई परवाह नहीं है। झुंझुनू में बैठे प्रशासन की सवेदनहीनता साफ उजागर हो रही है जिसके चलते आम जनता में भारी रोष व्याप्त है। आने वाले समय में यदि प्रशासन ने ध्यान नहीं दिया तो इससे बड़ी और प्रशासन की नाकामी राज्य सरकार के सामने क्या होगी एक तरफ मुख्यमंत्री कह रहे हैं कि कोई भूखा न सोए मगर झुंझुनू मुख्यालय पर लोग भूख के मारे अपना स्थान छोड़ रहे हैं और पैदल ही घरों की तरफ अपनी जान बचाने के लिए चल दिए है। प्रशासन को इन गरीबों की सहायता के लिए कोई निर्णायक कदम उठाना होगा इस चैक वाली फोटो खिचवाने की मानसिकता से भी बाहर निकलना होगा। यह सभी सिमरिया टाका गांव के रहने वाले हैं और थाना घाटी ग्वालियर मध्य प्रदेश से है इनमे 3 महिलाएं हैं 6 बच्चे हैंऔर 7 पुरूष शामिल है। जिला प्रशासन से हम कहना चाहेंगे कि मुफलिसी और महामारी के दौर में इन लोगो की तरफ भी प्रशासन ध्यान दे क्योंकि ये लोग भी अपने ही है कोई बेगाने नहीं है। वही पीठ थपथपाने वाली मीडिया से भी हम कहना चाहेंगे की इन आभाव ग्रस्त लोगो की समस्या भी शासन प्रशासन के सामने लाकर हारे के सहारे बने। डेस्क पर बैठ कर आल इज वेल की मानसिकता से बाहर निकले क्यों कि इस महामारी से बड़ा गम है भूख, इन अभावग्रस्त लोगो में।