उदयपुरवाटी, झुंझुनू-सीकर-नीमकाथाना जिले की सीमाओं में मालखेत बाबा की 24 कोसीय परिक्रमा जो 72 किलोमीटर में श्रद्धालु पैदल चलकर लगभग सात दिन में पूर्ण करते हैं। खाकी अखाड़े के महंत घनश्याम दास महाराज के सानिध्य में साधु संतों की टोली ठाकुर जी की पालकी के साथ परिक्रमा का नेतृत्व करते है। यह 24 कोसी परिक्रमा गोगा शनवमी से शुरू होकर अमावस्या के दिन संपन्न होती है। अमावस्या के दिन लोहार्गल के सूर्य कुंड में महा स्नान कर लाखों श्रद्धालु अपने घर की ओर प्रस्थान करते हैं। 24 कोसी परिक्रमा में ठाकुर जी की पालकी के साथ अगुवाई कर रहे महंत घनश्याम दास ने बताया कि ठाकुर जी की पालकी चारोड़ा धाम खंडेला, सीकर पीठ तथा लोहार्गल बड़ा मंदिर के महंत के सानिध्य में प्राचीन समय से पालकी निकल जाती है। इस पालकी को संत महंत कंधे पर लेकर चलते हैं। वैसे तो लोहार्गल तीर्थ स्थल शेखावाटी का मिनी हरिद्वार के नाम से प्रसिद्ध है। 24 कोसी परिक्रमा के दौरान लाखों श्रद्धालु मालखेत बाबा पर्वत के चारों ओर निकलने वाली नदियों की सात धाराओं के श्रद्धालु दर्शन कर स्नान करते हैं। इन धाराओं में लोहार्गल, किरोड़ी, शाकंभरी, नाग कुंड, टपकेश्वर महादेव, शोभावती, खोरीकुंड शामिल है। तीर्थराज लोहार्गल से शुरू 24 कोसी परिक्रमा ज्ञान बावड़ी, शिव गोरा मंदिर, गोल्याणा, चिराना, किरोड़ी, देलसर की घाटी, कोट गांव, कोट बांध, शाकंभरी, सकराय, भगोवा, नाग कुंड, टपकेश्वर महादेव मंदिर, शोभावती, बारा-तिबारा, खाखी अखाड़ा, निमाड़ी की घाटी, रघुनाथगढ़, रामपुरा, खोरीकुंड, रामपुरा से होते हुए गोल्याणा से वापस लोहार्गल सूर्य कुंड में स्नान करने के पश्चात परिक्रमा पूर्ण होती है। मालखेत बाबा की 24 कोसी परिक्रमा का पुराणों में भी विशिष्ट महत्व बताया गया है। अमावस्या के दिन लोहार्गल लक्की मेला भरता है। जो लगभग दो दिन लगातार जारी रहता है। जिसमें लाखों श्रद्धालु स्नान कर सूर्य कुंड पहुंचते हैं। साथ ही अमावस्या की पूर्व संध्या पर विभिन्न मंदिरों व धर्मशालाओं में भजन संध्या व अन्य धार्मिक कार्यक्रमों का जगह-जगह आयोजन होता है। परिक्रमा मार्ग में श्रद्धालुओं के लिए जगह-जगह भंडारे व खाने पीने की व्यवस्था होती है। जो सर्व समाज की विभिन्न संस्थाओं द्वारा जगह-जगह भंडारे संचालित होते है।