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दलितों पर हो रहे अत्याचार को लेकर मुख्यमंत्री को भेजा ज्ञापन

राजस्थान मेघवाल परिषद के तत्वावधान में

सूरजगढ़, आज बृहस्पतिवार को राजस्थान मेघवाल परिषद के तत्वावधान में दलितों पर हो रहे अत्याचार को लेकर उपखंड अधिकारी सूरजगढ़ के प्रतिनिधि रामस्वरूप बोकोलिया को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन के जरिये लॉक डाउन में दलितों पर अत्याचार करने वाले अपराधियों को कठोर दंड देने की मांग उठाई है। राज्य में बढ़ रही बलात्कार और दलितों पर हिंसा की घटनाओं को तुरंत प्रभाव से रोकने की मांग उठाई गई है। राजस्थान मेघवाल परिषद के प्रदेश वरिष्ठ उपाध्यक्ष धर्मपाल गांधी ने बताया कि लॉक डाउन घोषित किये जाने के बाद देश में सब कुछ बंद हो गया लेकिन दलितों पर अत्याचार निरंतर जारी हैं। राजस्थान प्रदेश में भी लॉक डाउन के दौरान दलित अत्याचार की बहुत सी घटनाएं सामने आ रही हैं। जोधपुर जिले के खेड़ापा पुलिस थाना क्षेत्र में 18 अप्रैल शनिवार सुबह पातों की बासनी के रहने वाले एक दलित व्यक्ति की 5-6 लोगों ने मिलकर षड्यंत्र के तहत धारदार हथियारों से निर्मम हत्या कर दी। लॉक डाउन के दौरान किसी अनुसूचित जाति के व्यक्ति की दिनदहाड़े इस तरह हत्या करना बहुत ही शर्मनाक है। जिस तरह से हत्या की घटना को अंजाम दिया गया है, उससे साफ जाहिर है कि अपराधियों के हौसले बुलंद हैं। उन्हें कानून का कोई डर नहीं लगता है या फिर ऐसे अपराधियों को राजनीतिक संरक्षण हासिल होता है। लॉक डाउन के दौरान हत्या जैसी घटना को अंजाम देने वाले अपराधियों को फांसी दी जानी चाहिए। दलित उत्पीड़न की घटनाओं में राज्य सरकार को सख्त एक्शन लेना चाहिए। लॉक डाउन के दौरान राज्य के अन्य जिलों में भी दलितों पर अत्याचार हो रहे हैं। घर में घुसकर भी मारपीट की जा रही है। सरकार को दलितों की सुरक्षा पर ध्यान देना चाहिए। हर समाज के व्यक्ति को स्वतंत्रता से जीने का अधिकार होना चाहिए। सरकार की जिम्मेदारी बनती है कि वह हर व्यक्ति के अधिकारों की रक्षा करें और सुरक्षा प्रदान करें। कुछ दिनों पहले राजस्थान में ऐसे मामले भी हुए हैं, जहां पर पुलिस ने ही अनुसूचित जाति के बेबस व्यक्तियों की थाने में ले जाकर बेरहमी से मार कर क्रूरता पूर्वक हत्या की है। सरदार शहर कस्बे में दलित युवक की पुलिस थाने में बेरहमी से हत्या कर दी गई थी और उसकी भाभी को भी बेरहमी से मारा गया था। गैंगरेप का आरोप भी पुलिस पर लगाया गया था। महिला के पैरों के नाखून तक उखाड़े गये थे। इस तरह का कानून कब बन गया ? पुलिस वाले कैसे भक्षक बन रहे हैं ? आजकल पुलिस वाले गुंडे बदमाशों से दोस्ती कर रहे हैं और दलित व कमजोर वर्ग के लोगों पर अत्याचार कर रहे हैं। गत दिनों बाड़मेर में भी एक दलित युवक को थाने में ले जाकर बेरहमी से मार दिया गया था। इस तरह की घटनाएं सरकार और समाज के लिए शर्मनाक हैं। इसके अलावा नागौर जिले के पांचौड़ी थाना क्षेत्र में भी दो दलित युवकों को बांधकर बर्बरता से पीटा गया था। उनके प्राइवेट पार्ट में पेट्रोल डालकर बेरहमी से मारा गया। दरिंदों द्वारा उनका वीडियो भी बनाया गया। इस तरह की दलित उत्पीड़न की बहुत सी खौफनाक घटनाएं सामने आ रही हैं। जो बहुत कुछ सोचने को मजबूर कर रही हैं। कानून व्यवस्था की कमजोरियों पर सवाल खड़े कर रही हैं। महिलाओं पर अत्याचार बढ़ रहे हैं। नाबालिग दलित लड़कियों के साथ भी बलात्कार की घटनाएं बहुत ज्यादा हो रही हैं। दलितों का शोषण करने वालों को राजनैतिक संरक्षण हासिल है, इसलिए इस विषय पर गहनता से विचार करने की आवश्यकता है। गरीब, कमजोर, असहाय, मजदूर, दलित वंचित वर्ग पर अत्याचार करने वालों को कठोर दंड दिया जाना चाहिए। लॉक डाउन के दौरान जोधपुर जिले के खेड़ापा थाना क्षेत्र में डूंगर राम मेघवाल की निर्मम हत्या करने वाले हत्यारों को फांसी की सजा दी जानी चाहिए। दलित समाज पर अत्याचार करने वालों को जब तक कठोर दंड नहीं दिया जायेगा तब जाके अत्याचार पर अंकुश नहीं लग पायेगा।

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