दांता (लिखासिंह) दांता को आज से 354 वर्ष पूर्व विक्रम संवत 1726 में आखातीज को ठाकुर अमरसिंह ने दांता के नाम से बसाया था। दांता नगरपालिका पहले पंचगिरी के नाम से जाना जाता था। दांता आजादी के बाद नगरपालिका था फिर सन् 1961में ग्राम पंचायत बना दिया था, 6 दशकों बाद गत वर्ष के बजट में फिर से नगरपालिका बना दिया गया था एवं जुलाई 2022 में नगरपालिका ने कार्य शुरू कर दिया था जिसमें वार्ड पंच से पार्षद व सरपंच से चेयरमैन बना दिये । दांता के स्थापना के समय से ही यहां के राजाओं द्वारा हर जाति के लोगों को लाकर बसाया और उन्हें उनके कार्यों के अनुसार रोजगार उपलब्ध करवाया, ताकि सुनियोजित रूप से दांता की स्थापना हो सके व कस्बे की उन्नति हो सके। चोर, डाकुओं के भय से दांता हमेशा मुक्ता था। इसी कारण से कई समाजों के लोग दूर-दूर से यहाँ आकर बस गये थे, वर्षों पुराना सिलसिला आज भी जारी है आज भी दांता में लोग बहार से आकर यहां पर व्यापार व व्यवसाय करते हैं और सदा के लिए यही के होकर रह जाते हैं । जैसे दांता आने का सिलसिला है वैसे यहां से दूर दराज देश के कोने- कोने में दांता कस्बे के महाजनों के अलावा भी अन्य समाजों के लोग भी व्यापार, व्यवसाय में वर्षों से लगे हुए हैं।
वैसे दांता कस्बे में आवश्यकता की प्रत्येक वस्तु दांता के बाजार में आसपास के बड़े कस्बों के भावों में मिल जाती है।दांता कस्बे में मुस्लिम समुदाय के बहुत से परिवार हैं परंतु आज तक कभी सांप्रदायिक भावना किसी भी जाति में नहीं उभरी। दांता में दोनों संप्रदायों का सदियों से चला मेल-मिलाप, भाई-चारा मिसाल के रूप में माना जाता है। वैसे तो दांता के सभी लोग स्वभाव से मस्त प्रकृति के हैं। लड़ाई- भिड़ाई इनकी प्रकृति में नहीं है। लेकिन राजनीतिक दृष्टि से पक्ष एवं विपक्ष में हमेशा से टकराव रहता है। श्री गोपाल गौशाला दांता में भामाशाह बनवारीलाल मित्तल ने गौ ग्रास संग्रहण करने के लिए एक टेम्पू भेंट किया। इस बार कनिष्का शर्मा पुत्री पवन कुमार शर्मा को माध्यमिक शिक्षा बोर्ड राजस्थान की परीक्षा 2022 कक्षा 12 वीं कला वर्ग अंग्रेजी माध्यम मे कनिष्का शर्मा को दांतारामगढ़ मे प्रथम स्थान आने पर उपखण्ड स्तर पर सम्मानित किया गया। अग्रवाल परिवार की तीन बेटियों ने पहले प्रयास में ही चार्टेड एकाउंटेंट फाउंडेशन परीक्षा उत्तीर्ण कर गांव का नाम रोशन किया हैं। एक ही परिवार की साक्षी पुत्री सतीश अग्रवाल, प्रियांशु पुत्री प्रदीप कुमार अग्रवाल एवं एकता पुत्री लोकेश कुमार अग्रवाल ने पहले ही प्रयास में सीए फाउंडेशन की परीक्षा में सफलता प्राप्त कर अपना और अपने परिवार का नाम रोशन किया हैं। दांता में आज भी बहुत सी समस्याएं है जैसे पीने के पानी की सरकारी काॅलेज आदि मूलभूत सुविधाओं से आज भी वंचित हैं।