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स्वतंत्रता सेनानी कस्तूरबा गाँधी व अबुल कलाम आजाद की पुण्यतिथि मनाई

और स्वतंत्रता सेनानी कमला चौधरी व यतीन्द्र मोहन सेनगुप्त की जयंती मनाई

झुंझुनू, राष्ट्रीय साहित्यिक व सामाजिक संस्थान आदर्श समाज समिति इंडिया के कार्यालय सूरजगढ़ में समाजसेवी इन्द्र सिंह शिल्ला के नेतृत्व में देश की आजादी के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाली महान स्वतंत्रता सेनानी कस्तूरबा गाँधी व देश के प्रथम शिक्षा मंत्री, क्रांतिकारी पत्रकार, वक्ता, कवि, समाज सुधारक, शिक्षा विशेषज्ञ, लेखक, स्वतंत्रता सेनानी भारत रत्न मौलाना अबुल कलाम आजाद की पुण्यतिथि मनाई। इस मौके पर प्रसिद्ध राजनीतिज्ञ, समाज सुधारक, लेखिका, संविधान सभा की सदस्य, स्वतंत्रता सेनानी कमला चौधरी व प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी यतीन्द्र मोहन सेनगुप्त की जयंती मनाई। सभी स्वतंत्रता सेनानियों के छायाचित्रों पर पुष्प अर्पित करते हुए स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान को याद किया। ठेकेदार रणवीर सिंह ने कहा- अगर हम भारत के स्वतंत्रता संग्राम की बात करें तो हमारे मस्तिष्क में अनेकों महिलाओं का नाम प्रतिबिंबित होता है, पर वो महिला जिनका नाम ही स्वतंत्रता का पर्याय बन गया है वो हैं ‘कस्तूरबा गाँधी’। ‘बा’ के नाम से विख्यात कस्तूरबा गाँधी राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की धर्मपत्नी थीं और भारत के स्वाधीनता आन्दोलन में उन्होंने महत्वपूर्ण योगदान दिया। भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान 22 फरवरी 1944 को कस्तूरबा गांधी की मृत्यु जेल में हुई थी। स्वतंत्रता सेनानियों के जीवन पर प्रकाश डालते हुए आदर्श समाज समिति इंडिया के अध्यक्ष धर्मपाल गाँधी ने कहा- मौलाना अबुल कलाम आज़ाद एक स्वतंत्रता सेनानी, विद्वान, पत्रकार, लेखक, कवि, दार्शनिक थे और इन सबसे बढ़कर अपने समय के धर्म के एक महान् विद्वान् थे। महात्मा गाँधी की तरह भारत की भिन्न-भिन्न जातियों के बीच, विशेष तौर पर हिन्दुओं और मुसलमानों के बीच एकता के लिए कार्य करने वाले कुछ महान् लोगों में से वह भी एक थे। अपने गुरु की तरह उन्होंने भी जीवनभर दो दुश्मनों ब्रिटिश सरकार और हमारे राष्ट्र की एकता के विरोधियों का सामना किया। मौलाना आजाद स्वतंत्र भारत के पहले शिक्षा मंत्री थे और उन्होंने ग्यारह वर्षों तक राष्ट्र की नीति का मार्गदर्शन किया। भारत के पहले शिक्षा मंत्री बनने पर उन्होंने नि:शुल्क शिक्षा, भारतीय शिक्षा पद्धति, उच्च शिक्षा संस्थानों की स्थापना में अत्यधिक के साथ कार्य किया। मौलाना आज़ाद को ही ‘भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान’ अर्थात् ‘आई.आई.टी. और ‘विश्वविद्यालय अनुदान आयोग’ की स्थापना का श्रेय है। स्वतंत्रता सेनानी कमला चौधरी के बारे में धर्मपाल गांधी ने बताया कि कमला चौधरी उन महिला समाज-सुधारकों और लेखिकाओं में से एक थीं, जिन्होंनेेे महिलाओं के जीवन स्तर में सुधार लाने के लिए सामाजिक-राजनीतिक और सांस्कृतिक स्तर पर प्रयास किया। वह एक स्वतंत्रता सेनानी एवं राष्ट्रवादी महिला थी, जो भारत की संविधान सभा की सदस्य चुनीं गयी थी। कमला चौधरी का राजनीतिक सफर 1930 से शुरू हुआ, अपनी पारिवारिक परंपरा को तोड़ने हुए वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हो गईं। महात्मा गांधी के शुरू किए गए सविनय अवज्ञा आंदोलन से देश के आजादी मिलने तक कमला चौधरी देश के स्वतंत्रता संग्राम के संघर्ष में कारावास तक का सफर किया। 1962 में वह हापुड़ से आम चुनाव जीतीं और तीसरी लोकसभा की सदस्य बनीं, उस दौर में हापुड़ लोकसभा में गाजियाबाद के क्षेत्र आते थे। एक सांसद के तौर कमला चौधरी पांच साल लोकसभा में काफी मुखर रहीं। एक समाज सुधारक के रूप में, दिल के बहुत करीब होने का कारण महिलाओं का उत्थान था। कमला चौधरी ने लड़कियों की शिक्षा के लिए सक्रिय रूप से काम किया। प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी यतीन्द्र मोहन सेनगुप्त के बारे में धर्मपाल गाँधी ने बताया कि यतीन्द्र मोहन सेनगुप्त भारतीय स्वाधीनता संग्राम के प्रमुख नायकों में से एक थे। उन्होंने सन् 1909 में इंग्लैंड से अपनी बैरिस्टरी पूर्ण की थी। उन्होंने कलकत्ता उच्च न्यायालय में वकालत शुरू की और साथ ही मज़दूरों के हित के लिए सदैव कार्य करते रहे। यतीन्द्र मोहन सेनगुप्त को पाँच बार कलकत्ता का मेयर चुना गया था। उन्होंने एक अंग्रेज़ युवती नेल्ली सेनगुप्त से विवाह किया था, जिसने देश को स्वाधीन कराने के लिए अपने पति के समान ही जेल की सजाएँ भोगीं। यतीन्द्र मोहन सेनगुप्त को अस्वस्थ अवस्था में ही जेल में बन्द रखा गया था। 22 जुलाई, 1933 को रांची में उनका निधन हो गया। आदर्श समाज समिति इंडिया परिवार महान स्वतंत्रता सेनानियों को नमन करता है। इस मौके पर इन्द्रसिंह शिल्ला भोबिया, सन्दीप तुन्दवाल, महेश कुमार भोबिया, धर्मपाल गाँधी, रणवीर ठेकेदार, अमित कुमार, सुनील गांधी, पिंकी नारनौलिया, अंजू गांधी, दिनेश, माहिर आदि अन्य लोग मौजूद रहे।

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