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दिल्ली पुलिस के रिटायर्ड एसआई को है गांव गांव में तिरंगा लगाने का जुनून

स्वतंत्रता दिवस पर शेखावाटी लाइव की विशेष रिपोर्ट

कोरोना के कहर के चलते इस बार स्वतंत्रता दिवस पर नहीं लगा रहे हैं जिले के किसी गांव में तिरंगा

झुंझुनू, झुंझुनू जिले का नाम आते ही बरबस ही आंखों के सामने फौजी और शहीदों की तस्वीरें आंखों के सामने तैरने लगती हैं । वही आज हम बात किसी फौजी की नहीं कर कर दिल्ली पुलिस के एक रिटायर्ड एसआई की करेंगे जिनके दिल में तो तिरंगा लहराता है ही साथ ही उनका ख्वाब है कि जम्मू-कश्मीर में धारा 370 लगने से पहले जितने तिरंगे जलाए गए थे उतने ही तिरंगे वह गांव गांव में लहरा दे । स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लाल किले की प्राचीर से तिरंगा झंडा जहां शान से लहराता है वही झुंझुनू जिले के मूल रूप से बुडानिया निवासी हाल निवास जाखोड़ा के दिल्ली पुलिस के रिटायर्ड एएसआई जगदीश सिंह ने दिल्ली पुलिस सेवा से रिटायर होने के बाद में लाल किले की प्राचीर से लहराते हुए देखे गए तिरंगे की छटा ऐसी पसंद आई कि झुंझुनू जिले के गांव गांव में तिरंगा लहराने की उन्होंने ठान ली और उन्होंने सबसे पहले अपने जखोडा ग्राम में कृषि फार्म हाउस पर 101 फीट का ऊंचा तिरंगा लगाया। हालांकि उनकी इच्छा थी कि जिला मुख्यालय या किसी बड़े शहर पर यह तिरंगा लगाया जाए लेकिन तत्कालीन समय में प्रशासन तिरंगे की देखभाल की जिम्मेदारी नहीं ली जिसके चलते उनको यह शुरुआत अपने गांव जखोडा से करनी पड़ी । इसके बाद अब तक जगदीश सिंह जिले के 6 गांव में 40 फीट ऊंचा तिरंगा लगा चुके हैं जिनमें हैं लांबा, बजावा सुरों का, जखोडा स्कूल, जाखड़ा गांव, बुडानिया, लंबा गोठड़ा शामिल है ।वही सेवानिवृत्त एस आई ने बताया कि इसके अलावा उनके जहन में यह बात भी आई कि अपने क्षेत्र के युवा विदेशी धरती के खेल स्टेडियम पर भी तिरंगा लहराए । इसके लिए उन्होंने अपने ही गांव में सरकारी भूमि के जोहड़ पर स्टेडियम का निर्माण करवाना शुरू कर दिया जिसमें सेवानिवृत्ति के बाद मिली 37लाख रुपए की राशि और 2 साल की पेंशन इस तिरंगा लगाने एवं स्टेडियम के निर्माण में लग चुकी है। वहीं उन्होंने बताया कि इन स्थानों पर लगाए गए तिरंगे झंडे की साइज 12 × 18 फीट है जो वह दिल्ली से लेकर आते हैं और जिस का खर्चा एक झंडे का 4000 रु आता है और साल में 5 झंडे उनको बदलने पड़ते हैं इसका पूरा खर्चा भी वह अपनी पेंशन से ही करते हैं । वही जगदीश सिंह की दिली तमन्ना है कि जिला मुख्यालय के ऊपर भी ऐसा ही एक तिरंगा लहराया जाए जिसकी देखरेख की जिम्मेदारी स्थानीय प्रशासन ले। वही जगदीश सिंह की तिरंगे और देश के प्रति समर्पित जुनून को देखते हुए भामाशाह का सहयोग भी इनके साथ जुड़ने लगा है । स्टेडियम निर्माण में अनेक भामाशाह ने सहयोग दिया जिनमें से पूर्व सैनिक बोर्ड के अध्यक्ष प्रेम सिंह बाजोर ने भी 5 लाख की सहायता प्रदान की थी ।वहीं स्थानीय लोगों के पास जिनकी पैसे नहीं थे उन्होंने लोगों ने स्टेडियम निर्माण में मजदूरी करके अपनी तरफ से सहायता प्रदान की। वही जगदीश सिंह इसी स्थान पर दो स्टेडियम का निर्माण करवाना चाहते हैं एक तरफ लड़कों के लिए दूसरी तरफ बेटियों के लिए। लेकिन आर्थिक तंगी के चलते अभी इन स्टेडियमों का कार्य अधूरा पड़ा है। वहीं इस 15 अगस्त पर किसी अन्य गांव में तिरंगा लगाने की उनकी इच्छा भी कोरोना संक्रमण के चलते मन में ही रह गई है । लिहाजा जिले के किसी अन्य गांव में 26 जनवरी पर ही जगदीश सिंह अब तिरंगा झंडा लगाएंगे ।

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