सीकर, राजस्थान पेंशनर समाज की मासिक बैठक रविवार को डाक बंगले में चौधरी मामराज सिंह की अध्यक्षता में आयोजित की गई। चौधरी ने बताया कि पेंशनर डे का इतिहास पेंशन से जुड़ा हुआ है। प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 1971 में राजा महाराजाओं के पेंशन बंद की तो उसके बाद एक याचिका द्वारा सुप्रीम कोर्ट में कर्मचारियों, अधिकारियों की पेंशन बंद करने की गुहार की गई, इस पर सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को पक्षकार बनाया तो सरकार ने कहा कि हम अधिकारियों कर्मचारियों की पेंशन बंद नहीं करेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा कि कर्मचारी सरकार के सेवक है इसलिए पेंशन पाना इनका हक अधिकार है। वर्तमान में ओपीएस को लेकर सम्पूर्ण देश के कर्मचारी आन्दोलित हैं, क्योंकि वाजपेयी सरकार ने 1 जनवरी, 2004 से सरकारी सेवा में आने वालों की पेंशन बंद कर नई पेंशन नीति लागू कर दी थी। वर्तमान में बंगाल, केरल और हिमाचल प्रदेश के कर्मचारियों को पुरानी पेंशन मिल रही है। राजस्थान और छतीसगढ़ की कांग्रेस सरकार ने कर्मचारियों को ओपीएस देने की घोषणा करते हुए नई पेंशन स्कीम के तहत वेतन से पेंशन फण्ड में कटौती को बंद कर दी परन्तु अभी कानून नहीं बना है, ऐसे में पेंशनर समाज राज्य व केन्द्र सरकार से मांग करता है कि ओपीएस स्कीम पुनः लागू कि जाए।
किशोर सिंह शेखावत ने कहा कि ओपीएस सरकार के गले की फांस बन चुकी है। कर्मचारी संगठनांे की ओर से 28 दिसम्बर 2023 को कलकता में ओपीएस की मांग को लेकर आन्दोलन की रणनीति तय करने को लेकर बैठक का आयोजन किया गया है। 13 दिसम्बर को महाराष्ट्र के 17 लाख कर्मचारियों ने एक दिन की सांकेतिक हड़ताल कर ओपीएस लागू करने की मांग की है। बैठक में पेंशनरों ने कहा कि पेंशनर डे मनाने की सार्थकता तभी सिद्ध होगी जब करोड़ों कर्मचारी पेंशनर ओपीएस की मांग मंगवाने में सफल होंगे। बैठक में पेंशनरों ने शीघ्र ही सीकर सांसद से मिलकर ओपीएस की मांग को लेकर प्रधानमंत्री को ज्ञापन भेजन का निर्णय लिया गया। बैठक में बीरजूसिंह शेखावत, विद्याधर सिंह कटराथल, भागीरथ चाहिल, छोटेलाल सर्वा, रामचन्द्र सिंह गढवाल, अर्जुनलाल वर्मा, गणपत लाल आर्य आदि मौजूद रहें।