रतनगढ़, [सुभाष प्रजापत ] शहर के पंचमुखी बालाजी मंदिर में चल रही श्री राम कथा के तीसरे दिन सोमवार को भगवान श्रीराम का जन्मोत्सव हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। कथा वाचक संत शंभुशरण लाटा ने भये प्रकट कृपाला दीनदयाला, कौशल्या हितकारी आदि पंक्तियों से पूरे माहौल को राममय बना दिया। उन्होंने कहा कि इस जगत में भगवान श्रीराम जैसा दूसरा चरित्र नहीं है। प्रभु श्रीराम की कथा के श्रवण मात्र से ही व्यक्ति के तमाम सांसारिक पाप नष्ट हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में हम सब में धैर्य की कमी है, जीवन मे धैर्य धारण करना बहुत जरूरी है, विशेषकर आपत्ति के समय संयम बरतना चाहिए। महाराज ने कहा कि परिवार में मतभेद तो हो सकता है, लेकिन मनभेद नहीं होना चाहिए। भरथरी की संगीतमय कथा सुनाते हुए उन्होंने कहा कि भरथरी और प्रतापभानू दोनों को ही जंगल में साधु मिले थे, लेकिन एक कुटिल साधु ने प्रतापभानु को श्राप दिलवा दिया और भरथरी को मिले सदगुरु ने उनके जीवन को सन्मार्ग की ओर मोड़कर अमर बना दिया। जीवन में कोई कष्ट आए, तो सद्गुरु की शरण मे जाना चाहिए। महाराज ने सोमवार की कथा में रावण द्वारा भगवान शंकर की स्तुति करना, दशरथ पुत्रों का नामकरण सहित कई प्रसंगों पर विस्तार से प्रकाश डाला तथा राम जन्मोत्सव पर बधाइयां बांटी। कथा के प्रारंभ में मुख्य यजमान राजेंद्र बणसिया दंपति ने व्यासपीठ की पूजा-अर्चना की। इस अवसर पर अजय बणसिया, तरुण बणसिया, कुमार कौशल, रुचिका शर्मा, कुलदीप व्यास, ओमप्रकाश तापड़िया, बद्रीप्रसाद बणसिया, विनोद इम्फाल, मनोज रामगढ़, जगदीश प्रजापत, राजकुमार पिलानी, मदनलाल कम्मा, रामपाल फोगला, सुगनचंद मंडार, रामचंद्र सहल, राजकुमार मुरारका सहित सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे।