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प्रधानमंत्री को आपातकालीन योद्धाओं का खुला पत्र

प्रधानमंत्री सीकर की पावन धरती से आपातकालीन योद्धाओं को स्वतंत्रता सेनानियों की तरह सम्मान देने की घोषणा करें

सीकर, [लिखा सिंह सैनी ] लोकतंत्र सेनानी संघर्ष समिति के राष्ट्रीय संयोजक गीता मनीषी दीपचंद्र शर्मा एवं लोकतंत्र सेनानी संघ राजस्थान के प्रदेशाध्यक्ष मेघराज बम्ब ने लोकतंत्र सेनानियों की ओर से प्रधानमंत्री जी को खुला पत्र लिखकर यह मांग की है कि भाजपा के आदर्श पंडित दीनदयाल उपाध्याय की कर्मभूमि सीकर से आपातकालीन योद्धाओं को स्वतंत्रता सेनानियों के समान सम्मान एवं सुविधाएं देने की घोषणा करके यशस्वी इतिहास का निर्माण करें। पत्र में लिखा है कि प्रधानमंत्री जी आपने अनेक बार यह कहा है कि आज की पीढ़ी को यह कहा जाए कि देश में एक कालखंड ऐसा भी आया था जब जीने का अधिकार भी छीन लिया गया था तो वे कहेंगे कि ऐसा कैसे हो सकता है परन्तु यह सच है कि 25/26 जून 1975 की मध्यरात्रि में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने आपातकाल की घोषणा करके लोकतंत्र की हत्या कर दी एवं तानाशाही शासन की शुरुआत की। सुप्रीम कोर्ट में भारत सरकार के वकील ने कहा कि इस आपातकाल में यदि कोई पुलिस अधिकारी किसी को गोली मारकर हत्या कर दे तो भी कोई यह नहीं पूछ सकता कि इसे गोली क्यों मारी, सुप्रीम कोर्ट भी नहीं पूछ सकता। तब सुप्रीम कोर्ट ने भी यह निर्णय दिया कि यह एकदम सही है। चालीस साल बाद सुप्रीम कोर्ट ने इसके लिए माफी मांगी और कहा कि जीवन का अधिकार किसी भी स्थिति में खत्म नहीं किया जा सकता।उस समय तानाशाही शासन को समाप्त करके लोकतंत्र की पुनर्स्थापना के लिए अपना सर्वस्व बलिदान करने वाले देशभक्तों को जितनी यातनाएं दी गईं उतनी तो अंग्रेज सरकार ने भी स्वतंत्रता सेनानियों को नहीं दी। मजबूर होकर इंदिरा गांधी को चुनाव करवाना पड़ा और देश में लोकतंत्र की जीत हुई। आर एस एस और भाजपा ने आपातकालीन संघर्ष को द्वितीय स्वतंत्रता संग्राम बताया।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आपातकालीन योद्धाओं को प्रेरणा पुरुष बताते हुए कहा कि इन्हें सम्मानित करना सरकार का दायित्व है। यदि इन्हें सम्मानित नहीं किया जायेगा तो देश की भावी पीढ़ी को यह प्रेरणा कैसे मिलेगी कि वे देश के लिए उस समय सर्वस्व बलिदान कर दें जब देश को आवश्यकता हो। केरल एर्नाकुलम हाईकोर्ट ने भी कहा कि इन्हें सम्मानित करने के लिए केन्द्रीय सरकार पूरे देश में एक समान नीति बनाकर लागू करे ।

दीपचंद्र शर्मा ने बताया कि देश के अनेक राज्यों में आपातकालीन योद्धाओं को स्वतंत्रता सेनानियों की तरह सम्मान एवं पेंशन मिलती है। राजस्थान में भी आपातकालीन योद्धाओं को देशभक्त मानकर 24000 रुपए सम्मान पेंशन भाजपा की वसुंधरा राजे सरकार ने शुरू की थी परन्तु तानाशाही समर्थक कांग्रेस सरकार ने आपातकालीन योद्धाओं को देशद्रोही बताते हुए सम्मान पेंशन बंद कर दी। इससे देशभक्त आपातकालीन योद्धाओं का बड़ा अपमान हुआ है,वे हंसी के पात्र बन गये हैं। एक ही आंदोलन में जेल की यातना सहने वालों को देश में कहीं तो देश भक्त मानकर राजकीय सम्मान से अंतिम संस्कार किया जाता है, सम्मान पेंशन दी जाती है और कहीं उन्हें देशद्रोही माना जाता है। यह कितना हास्यास्पद है। आपातकालीन योद्धाओं के सम्मान के साथ ऐसा खिलवाड़ ठीक नहीं है।

दीपचंद्र शर्मा ने कहा कि प्रधानमंत्री जी ने भी अनेक बार कहा है कि आपातकालीन योद्धाओं के बलिदान एवं संघर्ष के कारण ही आज देश में लोकतंत्र जिंदा है। इसलिए प्रधानमंत्री जी से निवेदन है कि विश्व प्रसिद्ध सीकर की धरती से आपातकालीन योद्धाओं को स्वतंत्रता सेनानियों की तरह पूरे देश में समान रूप से सम्मान एवं अन्य सुविधाएं प्रदान करने की घोषणा करके यशस्वी इतिहास का निर्माण करें।

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