सीएए, एनसीआर, बेटी बचाओ बेटी पढा़ओ जैसे स्लोगन लिखे हुए पतंगों से पतंगबाजी की
दांतारामगढ़,[लिखा सिंह] परिंदों की मानिंद उड़ान भरती रंगी-बिरंगी पतंगों से आच्छादित आसमां, घरों की छतों पर गूंजते फिल्मी गीतों के बीच उत्साह से लबरेज करता वो काटा-वो मारा का शोर और घेवर-फीणी-पकौड़ों की महक से सराबोर घर-आंगन। दान पुण्य व पतंगबाजी के लुत्फ के पर्व मकर संक्रांति पर अंचल में कुछ ऐसा ही माहौल रहा। सुबह आठ बजे शुरू हुआ पतंगबाजी का सिलसिला देर शाम तक चला। हर घर की छतों पर पतंग उड़ाते युवाओं ने पर्व का जमकर लुत्फ उठाया। पर्व पर पतंगबाजी के लिए पूरा शहर छतों पर नजर आया। घरों में महिलाओं ने दान-पुण्य कर धर्म के प्रति आस्था जताई। सामाजिक व धार्मिक संस्थाओं की ओर से गायों को गुड़ आदि खिलाया गया। संबंधों को प्रगाढ़ कर रिश्तों में गुड़ सी मिठास घोलते पर्व मकर संक्रांति पर घरों में महिलाओं ने लोक परंपराओं का निर्वहन किया। अल सुबह लोक गीतों से गूंजते घर-आंगन में महिलाओं ने सास-ससुर को नींद से जगाकर घेवर व नेग दिया और आशीर्वाद लिया। जेठ-देवर-नणद-नणदोई आदि को घेवर देने सहित अन्य परंपराएं निभाई गई। लोगों ने बेटियों के ससुराल में घेवर भेजी। पर्व को लेकर बाजार में पतंग-मांझे की खरीदारी परवान पर रही। दुकानों पर पतंग-डोर की खरीदारी के लिए युवाओं की भीड़ रही।