चुरूताजा खबर

पिता की मृत्यु पर भोज की बजाय आपणी पाठशाला को दिए एक लाख

बूंटिया के सरावग परिवार की अनूठी पहल, कुरीतियों के निवारण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम

चूरू, सामाजिक कुरीतियां हमारे सामाजिक ढांचे पर इस प्रकार हावी रहती हैं कि किसी भी व्यक्ति के लिए परम्परागत ढंग से चली आ रही कुरीति को छोड़ना बहुत मुश्किल भरा निर्णय होता है। बूंटिया गांव के सरावग परिवार ने अपने परिजन की मृत्यु पर मृत्युभोज जैसी कुरीति के विरूद्ध झुग्गी-झोपड़ियों के बच्चों को पढ़ाने वाली संस्था आपणी पाठशाला को एक लाख रुपए दान कर एक बड़ा संदेश दिया है। उल्लेखनीय है कि बूंटिया के रतनसिंह सरावग का देहावसान 4 नवंबर को हो गया था। शुक्रवार को इनके बारहवें पर रतनसिंह के शिक्षक एवं सामाजिक कार्यकर्ता पुत्र दलीप सरावग ने अपने भाई सुरेश, मनोज और परिवार की सहमति से अपनी मां सावित्री देवी के हाथों से चूरू स्थित आपणी पाठशाला में एक लाख का चैक पाठशाला के धर्मवीर जाखड़ को भेंट किया ताकि समाज से इस कुरीति को मिटाकर शिक्षा को बढ़ावा दिया जा सके।

करणपुरा में प्रधानाध्यापक के पद पर पदस्थापित सामाजिक कार्यकर्ता दलीप सरावग ने बताया कि समाज से कुरीतियों को मिटाना एक सजग नागरिक का कर्तव्य बनता है और इनको मिटाने के लिए मजबूती के साथ पहल करना आवश्यक है। गांव हो या शहर, हर जगह कुरीतियां समाज में विसंगति पैदा करती है और इन पर होने वाले खर्च से बहुत से परिवार क़र्ज़ से डूब जाते हैं जिनसे उनके बच्चों को बेहतर शिक्षा प्राप्त नहीं हो पाती। दलीप ने कहा कि उनके पिता ने हमेशा उन्हें वैज्ञानिक व तार्किक सोच रखने तथा शिक्षा-संस्कार को बढावा देने वाले काम करने की ही शिक्षा दी थी।

राकेश बेनिवाल ने इस पहल पर खुशी जाहिर करते हुए बताया कि मृत्युभोज समाज में एक अभिशाप है। सरावग परिवार ने इसे बढ़ावा न देकर वंचित घुमंतू, बेसहारा, झोंपडियों में रहने वाले अभावग्रस्त बच्चों की शिक्षा, भोजन व पाठशाला निर्माण पर राशि खर्च करना सराहनीय कार्य किया है। मोहरसिंह सरावग ने आपणी पाठशाला में इस अवसर पर किये इस योगदान पर आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर आपणी पाठशाला के अध्यक्ष परमेश्वर शर्मा, मुकेश मील, कुलदीप ईसराण, राजेन्द्र,चेतनराम, प्रो. पवन शर्मा, भगवानाराम, राजेश, रामनिवास, शशांक, प. मनीराम शर्मा, रणजीत नाई, बलदेव और बूंटिया सरावग परिवार उपस्थित रहा।

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