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पर्यावरण सुरक्षा अधिनियम 1986
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झुंझुनू, राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण के आदेश के बाद जिला परिषद झुंझुनू द्वारा ठोस अपशिष्ट प्रबंधन उपविधि का बुधवार को राजस्थान के गजट में प्रकाशन करवा दिया गया है। इसके साथ ही जिले की समस्त 301 ग्राम पंचायतों में ठोस कचरा निस्तारण एवं प्रबंधन हेतु पर्यावरण सुरक्षा अधिनियम 1986 के प्रावधान लागू हो गए हैं। इन प्रावधानों के तहत प्रथम चरण में प्रयोग के तौर पर केवल 3 ग्राम पंचायतें बुहाना की गाडाखेड़ा, चिड़ावा की नारी तथा उदयपुरवाटी की सीथल का चयन किया गया है। इन ग्राम पंचायतों को आबादी क्षेत्रों में सार्वजनिक स्थानों पर फैंके जाने वाले कचरे के निपटान के लिए संसाधन जुटाकर स्थाई व्यवस्था करनी होगी । अगले चरण में आगामी 1 अप्रैल से सघन आबादी एवं व्यवसायिक गतिविधियों वाली 10 ग्राम पंचायतों को ठोस और तरल कचरा निस्तारण का आधारभूत ढांचा तैयार करना होगा। आगामी वित्तीय वर्ष के अंत में जिले की समस्त ग्राम पंचायतों यह व्यवस्था लागू करना कानूनी बाध्यता होगी। जिला परिषद द्वारा लागू उपविधियों के तहत आबादी क्षेत्र के प्रत्येक रहवासी भवन, दुकान, रेस्टोरेंट्स, औद्योगिक प्रतिष्ठान, विवाह स्थल, पशु बाड़ा, छात्रावास, स्कूल, अस्पताल, डेयरी आदि गतिविधियां चलाने वाले को प्रतिमाह 10 रुपए से 1000 तक यूजर चार्ज देना होगा। यूजर चार्ज की वसूली के लिए ग्राम पंचायतों द्वारा ठेका दिया जाएगा। यदि कोई भवन का मालिक या व्यवसायिक गतिविधि चलाने वाला व्यक्ति ग्राम पंचायत द्वारा संचालित व्यवस्था का उपयोग नहीं करता है या यूजर चार्ज नहीं देता है तो ग्राम पंचायत द्वारा प्रतिदिन 100 से 200 तक पेनल्टी आरोपित की जाएगी। ऐसी पेनल्टी की वसूली ग्राम पंचायत द्वारा पंचायती राज अधिनियम की धारा 62 के तहत कुर्की द्वारा भी वसूल की जा सकेगी।
एनजीटी के आदेश की पालना में यदि कोई ग्राम पंचायत कचरा प्रबंधन का दायित्व निर्वहन नहीं करती है तो कोई भी नागरिक स्थाई लोक अदालत के माध्यम से सरपंच या सचिव को दंडित करवा सकता है। यह व्यवस्था लागू होने के बाद अब ग्राम पंचायतें कीचड़ व कचरे के निस्तारण के दायित्व से मुंह नहीं मोड़ सकती। जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी रामनिवास जाट द्वारा चिन्हित की गई ग्राम पंचायतों को पाबंद किया गया है कि राज्य व केंद्र सरकार से प्राप्त अनुदान तथा यूजर चार्जेज की राशि को मिलाकर गांव की सफाई सुनिश्चित की जाए।