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ग्यारह वर्षिय बालक से कुकर्म का प्रयास करने के आरोपी को पांच वर्ष का कठोर कारावास

विशेष न्यायाधीश सुकेश कुमार जैन द्वारा

झुंझुनूं, लैंगिक अपराधो से बालको का संरक्षण अधिनियम तथा बालक अधिकार संरक्षण आयोग अधिनियम के विशेष न्यायाधीश सुकेश कुमार जैन द्वारा शनिवार को दिये एक निर्णय में एक ग्यारह वर्षिय बालक से कुकर्म का प्रयास करने के आरोपी अतुल छापडिय़ा पुत्र सांवरमल छापडिय़ा (महाजन) निवासी वार्ड नम्बर तीन सूरजगढ़ को पांच वर्ष के कठोर कारावास एवं एक हजार रूपये अर्थदण्ड से दण्डित किया है। यहां यह भी उल्लेखित है कि अतुल छापडिय़ा गूंगा व बहरा है तथा विकलांग भी है। मामले के अनुसार 29 दिसम्बर 2013 को परिवादी अमित जांगिड़ ने पुलिस थाना सूरजगढ़ पर एक रिपोर्ट दी कि उसका पुत्र पीडि़त बालक कक्षा 6 में पढ़ता है जिसकी उम्र करीब 11 वर्ष है जो ट्यूशन करने के लिये प्रत्येक सायं एक कॉलेज की गली में एक अध्यापक के पास जाता है। रास्ते में अतुल छापडिय़ा की बर्तनो की दुकान पड़ती है, जो उसके पुत्र को अपने मोबाईल फोन पर गत चार माह से गलत फिल्म दिखा रहा था तथा अपने घर ले जाकर उसके कपड़े उतारकर दो बार कुकर्म करने का प्रयास किया तथा किसी को बताने के लिये मना कर दिया आदि। इस रिपोर्ट पर पुलिस ने मामला दर्ज कर बाद जांच अतुल छापडिय़ा के विरूद्ध सम्बन्धित न्यायालय में चालान पेश कर दिया। विशिष्ट लोक अभियोजक लोकेन्द्र सिंह शेखावत ने इस्तगासा पक्ष की तरफ से कुल 9 गवाहान के बयान करवाये तथा 10 दस्तावेज प्रदर्शित कराये। न्यायाधीश ने पत्रावली पर आई साक्ष्य का बारिकी से विश£ेषण करते हुये अपने निर्णय में लिखा कि पोक्सो अधिनियम के तहत बढ़ रहे अपराधो के पिछे इंटरनेट के जरिये मोबाईल फोन में सर्व उपलब्ध पार्न सामग्री है जो ऐसे व्यक्ति को कामुक बना देती है तथा वह अपनी काम वासना की संतुष्टि हेतु वह आतुर हो जाता है। न्यायाधीश ने अतुल छापडिय़ा को उक्त सजा के साथ-साथ बालक को फोन में अश£ील सामग्री दिखाये जाने और इस प्रकार लैगिंक उत्पीडऩ किये जाने के आरोप में भी दो वर्ष का और कठोर कारावास तथा 500 रूपये अर्थदण्ड से दण्डित करते हुये यह भी आदेश दिया कि आरोपी द्वारा अन्वेषण, विचारण, पुलिस व न्यायिक अभिरक्षा में व्यतीत की गयी अवधि को उसकी मूल सजा में समायोजित कर उसकी मूल सजा में से मुजरा की जायेगी।

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