राजस्थान से हरियाणा में होती है अवैध सप्लाई
सूरजगढ़, (के के गांधी) पर्यावरण प्रदुषण व प्रकृति के साथ खिलवाड़ एक वैष्विक समस्या है जिसको लेकर पुरा विश्व चिंतित है भारत भी इससे अछुता नही है जिसके उदाहरण देश में अकाल, बाढ़, भुकंप, तुफान व सुनामी जैसी प्राकृतिक आपदाओं के रूप में देखने को मिल रहे है, धरती का तापमान बढऩे से मौसम भी बदल रहा है। सरकार आम लोगों से ज्यादा से ज्यादा वृक्षारोपण करने की अपील करती है नई पीढ़ी पर इसका असर भी देखने को मिल रहा है आज का युवा हर कार्यक्रम की शुरूआत वृक्षारोपण के साथ कर रहा है लेकिन एक दुसरा पहलु भी है जिसमें ऐसा वर्ग आता है जिसको आने वाले समय के दुष्परिणामों के बारे में कुछ लेना देना नहीं उनका मकसद सिर्फ और सिर्फ पैसा कमाना होता है। चंद रूपयों के लालच में वन विभाग के अधिकारी व पुलिस प्रशासन भी इनके अवैध कामों को अनदेखा कर रहा है। कैसे होगा सरकार का हरियालों राजस्थान का सपना साकार। प्रकृति को नष्ट करने में सबसे बड़ी भुमिका वन विभाग निभा रहा है जो हरी लकडिय़ों को काटकर बेचते है वो तो शायद अनपढ़ व नासमझ लोग है लेकिन जिनके इसारे पर कटती है ये वो अधिकारी वर्ग है जिसको सरकार ने इसे रोकने की जिम्मेदारी दे रखी है। जो लाखों रूपए तनख्वाह पाते है लेकिन कुछ रूपयों की खातिर अपना ईमान बेच देते है। अपने यहां एक कहावत है जब बाड़ खेत को खाए तो उसे कोई नही बचा सकता इसे वन विभाग की उदासीनता नही कही जाएगी इसे विभाग की शह कही जाएगी। हर जगह विभाग के अधिकारी तैनात रहते है लेकिन जब अवैध हरी लकडिय़ों से भरी एक साथ 50-50 पिकअप निकलती है तो वो अधिकारी वहां से नदारद हो जाते है। आम लोग इन समस्याओं को उठाते है समाचार पत्रों में खबरें छपती है तो अधिकारी कार्यवाही करने से पहले अपने मातहतों को फोन के जरीए सुचना कर देते है फलां दिन कार्यवाही होगी ध्यान रखना। ऐसे में कैसे सुधार होगा इन समस्याओं का क्योकिं इन अधिकारियों के पास भी इनका हिस्सा पहुंचता है।
रोजाना गुजरती है सैंकड़ों पिक अप
रोजाना अवैध लकडिय़ों से भरी सैंकड़ों पिक अप पुलिस प्रशासन की नाक के नीचे से गुजरती है लेकिन पुलिस प्रशासन उन पर कोई कार्यवाही नही कर रहा है। चिड़ावा क्षेत्र से रोजाना हरी लकडिय़ों से भरी सैंकड़ों पिक अप वाया सूरजगढ़ व जाखोद होते हुए हरियाणा में घुसती है। इसके साथ ही ये पिक अप ओवरलोड व तेज रफ्तार से गुजरती है जिसके चलते आए दिन हादसे भी होते रहते है।