67 परिवारों की ओर से दायर प्रार्थना पत्र पर मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने की सुनवाई
झुंझुनू, राजस्थान हाई कोर्ट जयपुर की खंडपीठ ने सोती गाँव की राजकीय भूमि पर जिला प्रशासन द्वारा दिनांक 17 दिसंबर 2021 को 67 अतिक्रमियों को अतिक्रमण हटाने बाबत जारी नोटिस व तोड़ फोड़ करने पर मुख्य न्यायाधीश अकील कुरेशी व न्यायाधीश सुदेश बंसल की खंडपीठ ने रोक लगाते हुए जिला कलेक्टर सहित संबंधित पक्षों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। मामले के अनुसार सोती गाँव के 67 प्रभावित परिवारों की ओर से यूनूस खान व अन्य ने एडवोकेट संजय महला के जरिए खंडपीठ के समक्ष प्रार्थना पत्र प्रस्तुत कर निवेदन किया कि पूर्व में वर्ष 2018 में राजनैतिक कारणों के चलते हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की जाकर 81 व्यक्तियों के विरुद्ध सरकारी भूमि पर अतिक्रमण करना बताया गया। कोर्ट ने इस पर 16 अप्रैल 2018 को जिला कलेक्टर झुंझुनूं को 6 माह में अतिक्रमण हटाने सम्बन्धी आदेश जारी कर उक्त याचिका निस्तारित कर दी। इस के बाद प्रभावित पक्ष ने तत्काल खंडपीठ के समक्ष प्रार्थना पत्र प्रस्तुत कर बताया कि अतिक्रमण संबंधी आरोप झूठे है तथा प्रशासन ने सभी को वैध पट्टे जारी कर रखे हैं तथा उन्होंने नियमानुसार मकान बना रखे हैं जो 25 वर्षो से आबाद है। इस पर खंडपीठ ने 9 अगस्त 2018 को जिला कलेक्टर को आदेश दिए कि पूर्व में कोर्ट द्वारा अतिक्रमण हटाने संबंधी जारी आदेश की पालना से पहले सभी प्रभावित पक्षों को कारण बताओ नोटिस जारी कर उनका पक्ष सुना जावे फिर आगे कार्यवाही की जाए। बहस में 67 परिवारों की ओर से एडवोकेट संजय महला ने दलील दी कि जिला कलेक्टर ने कोर्ट के आदेश की पालना अभी तक नही की है उल्टे तहसीलदार झुंझुनूं ने 17 दिसम्बर 2021 को अतिक्रमण हटाने बाबत नोटिस जारी कर तोड़फोड़ करने को कहा है।उक्त आदेश से पीड़ित परिवारों में भय व्याप्त है। तहसीलदार ने नोटिस जारी कर कोर्ट आदेश की अवहेलना की है।*
*याचिका की सुनवाई कर रही खंडपीठ ने मामले के तथ्यों ,परिस्थितियों व रेकॉर्ड के अवलोकन के बाद इन 67 पीड़ितों को अंतरिम राहत देते हुए तहसीलदार द्वारा जारी नोटिसों के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी तथा जिला कलेक्टर व अन्य पक्षों को नोटिस जारी कर 12 अप्रैल को प्रकरण सूचीबद्ध करने के आदेश दिए।