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यदि इस धागे से इस बार उड़ाई पतंग तो हो सकती है कानूनी कार्रवाई

पतंग उड़ाने के लिए नायलॉन या किसी सिंथेटिक सामग्री से बने और या सिंथेटिक पदार्थ से लेपित और गैर-बायोडिग्रेडेबल मांझे या धागे पर पूर्ण प्रतिबंध

सीकर, जिला कलेक्टर मुकुल शर्मा ने बताया कि पतंग उड़ाने के दौरान उपयोग में लिए जाने वाले अत्याधिक धारदार, नायलॉन या किसी सिंथेटिक सामग्री से बने मांझों एवं उन पर लोहे अथवा कांच के पाउडर की प्लास्टिक कोटिंग से आमजन एवं पशु-पक्षियों को हानि पहुंचने व कई बार जनहानि होने की सम्भावना को दृष्टिगत रखते हुए पशु-पक्षियों व आम नागरिकों की जान-माल की सुरक्षा के लिए ऐसी सामग्री से निर्मित मांझो पर तत्काल प्रतिबन्धात्मक रोक लगाने की कार्यवाही किया जाना नितान्त आवश्यक है। इन मांझों से पक्षियों के घायल होने, अंग—भंग होने के अलावा मृत्यु तक की घटनाएं होना संभव हैं।

उन्होंने बताया कि पतंग उड़ाने के लिए नायलॉन या किसी सिंथेटिक सामग्री से बने और सिंथेटिक पदार्थ से लेपित और गैर-बायोडिग्रेडेबल मांझे या धागे पर पूर्ण प्रतिबंध होगा। देश के किसी भी हिस्से में सिंथेटिक मांझा नायलॉन धागे या सिंथेटिक पदार्थों से लेपित समान धागे के आयात पर प्रतिबंध है। इसी प्रकार केन्द्रीय प्रदूषण नियन्त्रण बोर्ड के आदेश में समस्त राज्यों को पतंगबाजी के लिए उपयोग किए जाने वाले चायनीज मांझे, नायलॉन, सिंथेटिक सामग्री, कांच लेपित धागे के निर्माण, बिक्री, भंडारण, खरीद और उपयोग पर प्रतिबंध लगाने के आदेश जारी किये गये हैं।

उन्होंने संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए हैं की राष्ट्रीय ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के आदेशों की अनुपालना में नायलॉन या किसी सिंथेटिक सामग्री से बने और सिंथेटिक पदार्थ से लेपित, चायनीज और गैर-बायोडिग्रेडेबल मांझे या धागे पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने व प्रतिबन्ध की पूर्ण अनुपालना सुनिश्चित करावें। इस प्रकार के मांझे के निर्माण, भंडारण, विक्रय और उपयोग पर भी तत्काल रोक लगाई जाए। उल्लंघन करने वालों के विरुद्ध पशुओं के प्रति क्रूरता का निवारण अधिनियम 1960, भारतीय न्याय संहिता 2023 तथा पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 एवं अन्य संबन्धित वैधानिक प्रावधानों के तहत कार्यवाही करें।

  आमजन को सूती धागों या बायोडिग्रेडेबल सामग्री से बनी डोर के ही उपयोग के लिए प्रेरित करावें एवं स्कूलों, कॉलेजों और स्थानीय संगठनों के माध्यम से जागरूकता अभियान संचालित करावें। जिला कलेक्टर ने पशुपालन विभाग को निर्देश दिए है कि घायल पक्षियों के बचाव के लिए विशेष प्रबंध करवाते हुए उनके इलाज के लिए जिले में मकर संक्रान्ति के अवसर पर पशुपालन विभाग, स्वयं सेवी संस्थाओं, पक्षी प्रेमियों के माध्यम से पक्षी चिकित्सा शिविर लगवायें एवं हेल्पलाइन नंबर जारी करना सुनिश्चित करें।

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