झुंझुनू में जिला कलेक्टर के आदेश पर भारी उपखंड अधिकारी, कलेक्टर को करवाना पड़ रहा है बार बार स्मरण फिर भी नतीजा शून्य
आरटीआई की गोपनीयता भंग होने की जाँच से जुड़ा है पूरा मामला : झुंझुनू के चार जिला कलेक्टर V/S एक मामला
झुंझुनू, प्रशासनिक व्यवस्था में जिला स्तर पर जिला कलेक्टर सर्वोच्च होता है और अधीनस्थ अधिकारियों को निर्देश और आदेशों की पालना करनी होती है। लेकिन झुंझुनू जिले में एक अनोखा मामला लम्बे समय से चलता आ रहा है। जिसमें झुंझुनू जिला कलेक्टर कार्यालय के बार बार आदेशों और निर्देशों पर उपखंड अधिकारी ही भारी पड़ते हुए प्रतीत हो रहे हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि यह पूरा मामला सूचना के अधिकार के अंतर्गत आवेदन पत्र कि गोपनीयता भंग होने और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर डालने के संबंध परिवाद की जांच से जुड़ा हुआ है। पत्रकार नीरज सैनी द्वारा लोक सूचना अधिकारी जिला कलेक्टर झुंझुनू को सूचना के अधिकार के अंतर्गत आवेदन करके सूचना मांगी गई थी लेकिन सूचनार्थी को यह सूचना तो उपलब्ध नहीं करवाई गई बल्कि आवेदन के चंद रोज बाद ही सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म व्हाट्सएप ग्रुप में डालकर इसकी गोपनीयता भंग कर दी गई और समाज विशेष के इस ग्रुप में पत्रकार सैनी के खिलाफ अनेक लोगों द्वारा अशोभनीय टीका टिप्पणी की गई। इस पूरे मामले को लेकर पत्रकार सैनी द्वारा एक ज्ञापन तत्कालीन झुंझुनू जिला कलेक्टर खुशाल यादव को सौंपा गया। साथ ही ज्ञापन की प्रतिलिपि जिला पुलिस अधीक्षक झुंझुनू, मुख्य न्यायाधीश राजस्थान उच्च न्यायालय जयपुर, मुख्य सूचना आयुक्त सूचना आयोग राजस्थान जयपुर, मुख्य सचिव राजस्थान सरकार जयपुर, प्रधानमंत्री भारत सरकार नई दिल्ली, केंद्रीय सूचना आयुक्त केंद्रीय सूचना आयोग नई दिल्ली को भी प्रेषित कर कार्यवाही करने की गुहार लगाई गई जिसके फलस्वरुप तत्कालीन जिला पुलिस अधीक्षक झुंझुनू ने ज्ञापन पर संज्ञान लेते हुए पुलिस में कंप्लेंट दर्ज करवाई जिसकी जांच कोतवाली पुलिस झुंझुनू कर रही थी। तत्कालीन झुंझुनू जिला कलेक्टर खुशाल यादव को फिर से एक बार इसी मामले में कार्रवाई करने के लिए दोबारा ज्ञापन देकर कार्रवाई करने की मांग की गई। जिसके फलस्वरुप जिला कलेक्टर झुंझुनू द्वारा 10 /8 /2023 को जांच उपखंड अधिकारी झुंझुनू को सौंपी गई थी। इस जांच हेतु पत्रकार सैनी द्वारा जांच को आगे बढ़ाने के लिए उपखंड अधिकारी झुंझुनू के कार्यालय में काफी चक्कर लगाए गए लेकिन प्रभावशाली लोगों के चलते जांच आगे नहीं बढ़ पाई। इस प्रकार डॉ खुशाल यादव के बाद झुंझुनू जिला कलेक्टर बचनेश कुमार अग्रवाल, चिन्मयी गोपाल और वर्तमान झुंझुनू जिला कलेक्टर रामावतार मीणा को भी ज्ञापन देकर इस मामले में जांच को आगे बढ़ाने और जांच किस स्तर पर पहुंची इसकी जानकारी चाही गई। इससे पहले आपको बता दें कि तत्कालीन झुंझुनू जिला कलेक्टर बचनेश कुमार अग्रवाल द्वारा पत्रकार सैनी को पत्र भेजा गया जिसमें एक बार पुनः खंड अधिकारी झुंझुनू को इस मामले की जांच की रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए लिखा गया लेकिन फिर भी मामला ठंडा बस्ते में पड़ा रहा और इसके बाद चिन्मयी गोपाल जब झुंझुनू जिला कलेक्टर थी उनको भी ज्ञापन सौंप कर मामले से अवगत करवाया गया लेकिन जांच है कि आगे बढ़ने का नाम ही नहीं ले रही थी। जब आईएएस रामअवतार मीणा ने झुंझुनू जिला कलेक्टर के रूप में कमान संभाली तो पत्रकार सैनी द्वारा एक बार पुनः ज्ञापन सौंप कर जांच के बारे में कार्रवाई करने की गुहार लगाई गई जिसके चलते झुंझुनू जिला कलेक्टर कार्यालय से एक पत्र की प्राप्ति पत्रकार नीरज सैनी को हुई है जो की 17 /10/2024 को जारी हुआ है जिसमें एक बार फिर से उपखंड अधिकारी झुंझुनू को तथ्यों के संबंध में अविलम्ब जांच कर जाँच रिपोर्ट कार्यालय में भिजवाने के लिए लिखा गया है। वही पत्र के प्रसंग में यह भी अंकित किया गया है कि जिला कलेक्टर कार्यालय के आदेश क्रमांक 514 दिनांक 10/8 /2023, पत्रांक 634 दिनांक 18/ 9 /2023, पत्रांक 1199 दिनांक 20/10/2023 एवं पत्रांक 619- 20 दिनांक 12 /4/2024 के संदर्भ में उपखंड अधिकारी को पूर्व में भी जांच का स्मरण करने के लिए पत्र लिखे जा चुके हैं। इस पूरे मामले में गौर करने वाली बात यह है कि झुंझुनू के चार जिला कलेक्टर के सामने यह मामला आ चुका है लेकिन उपखंड अधिकारी द्वारा इस पर कोई भी कार्यवाही की गई है या नहीं यह भी जानकारी पत्रकार को उपलब्ध नहीं करवाई गई बल्कि तत्कालीन समय में बयान लेने के नाम पर भी चक्कर कटवा कर काफी प्रताड़ित भी किया गया था। एक बार दुबारा से जिला कलेक्टर कार्यालय द्वारा उपखण्ड अधिकारी को अविलम्ब जाँच कर कार्यालय में भेजने के लिए लिखा गया है। अब देखने वाली बात है कि इस बार कुछ बात बनेगी या फिर नतीजा वही ढाक के तीन पात रहेगा।
18 /7 /2023 डाक से आवेदन भेजा गया [ मान लीजिये तीन दिन में डाक पहुंची ]
26 /7 /2023 को आवेदन की गोपनीयता भंग होने का ज्ञापन जिला कलेक्टर सौंपा [ यानि इससे पूर्व ही हो चुकी गोपनीयता भंग ]
पुलिस जाँच में वायरल करने वालो ने आवेदन पत्र की प्रति जो सौंपी उसे सूचना के अधिकार के अंतर्गत ही प्राप्त करना बताया जिस पर जिला सूचना एवं जनसम्पर्क अधिकारी हिमांशु सिंह सैनी के जारी करने के हस्ताक्षर और दिनांक 24 /7 /2023
सवाल यह भी – सूचना के अधिकार के अंतर्गत आवेदन करने वाले को सूचना दी नहीं उससे पहले तृतीय पक्ष को यह सूचना फुर्ती से दे दी गई की आर टी आई अंतर्गत क्या सूचना मांगी गई है। वायरल करने वालो से अधिकारी का ये रिश्ता क्या कहलाता है ?
- सूचना देने में यह अधिकारी इतने संजीदा है तो पत्रकार सैनी के आर टी आई के मामले क्यों पहुंचे राजस्थान सूचना आयोग और क्यों खानी पड़ी इनको सूचना आयुक्त की लताड़ ?
- जब सूचना के अधिकार के अंतर्गत आवेदन, लोक सूचना अधिकारी जिला कलेक्टर झुंझुनू को किया गया। यानि सूचना यहाँ से मांगी गई तो जिला सूचना एवं जन सम्पर्क अधिकारी के पास यह आवेदन क्यों भेजा गया ? और यदि भेजा भी गया तो इन्होने तृतीय पक्ष को सूचना के अधिकार के अंतर्गत इसकी सूचना पत्रकार सैनी से पहले देने में इतनी रूचि क्यों दिखाई ?
इसका उत्तर साफ़ है कि जो सूचना मांगी गई थी उनका सम्बन्ध जिला सूचना एवं जन सम्पर्क अधिकारी हिमांशु सिंह सैनी और जिला कलेक्टर के कार्यालय में वर्षो से डेपुटेशन पर कुंडली मार कर बैठे एक कर्मचारी से था। जिसके चलते षड्यंत्र तो बनता था और पत्रकार सैनी को समाज में गलत तरिके से पेश करना और उनके मान सम्मान में गलत बाते लिखवाकर अपमानित करना और अपने लिए समाज में सहानुभूति बटोरना ताकि पत्रकार पर समाजिक दबाब बनाकर इस पुरे मामले को दबाया जा सके। लेकिन पत्रकार सैनी ना रुकने वालो में है और ना झुकने वालो में, जिसका नतीजा आपके सामने है सिस्टम में बैठे हुए प्रभावशाली लोगो से कानूनी लड़ाई जारी है। वही जब एक जिला मुख्यालय के पत्रकार के साथ इस प्रकार से सिस्टम का खेल खेला जा सकता है तो आम आदमी की इस सिस्टम में क्या परिणीति होती होगी यह भी साफ है।
तस्वीर साफ है –
- वायरल करने वाले लोगो को बचाने के लिए आर टी आई अंतर्गत सूचना देने का षड्यंत्र रचा गया।
- मूल आवेदन में मांगी गई सूचना के लिए प्रथम अपील और बाद में सूचना आयोग में गुहार लगाई तब पत्रकार सैनी को किश्तों में सूचना दी गई वही वायरल करने वालो पर इतनी मेहरबानी क्यों की गई यह भी स्पष्ट है।
नॉन मेट्रिक व्यक्ति भी दस्तावेज देखकर कर सकता है इंसाफ लेकिन प्रशासन अभी तक खाली हाथ
सूचना के अधिकार के अंतर्गत किए गए आवेदन पत्र की गोपनीयता भंग होने के इस पूरे मामले में यदि एक नॉन मेट्रिक व्यक्ति से भी जांच करवाई जाए और दस्तावेजों के आधार पर सही गलत का निर्णय करवाया जाए तो वह भी महज चंद मिनट में ही दूध का दूध और पानी का पानी कर सकता है लेकिन प्रभावशाली लोगों द्वारा पुलिस में घड़े गए तथ्य देकर जांच को प्रभावित किया गया और पुलिस ने भी कहीं ना कहीं पूर्वाग्रह ग्रसित होकर इनके मन माफिक जांच रिपोर्ट बनाई। पुलिस की जांच भी पत्रकार सैनी को जब नहीं दी गई कि क्या जाँच हुई है। तब इसके लिए भी सूचना के अधिकार का सहारा लिया गया तब जाकर उनको सूचना की प्राप्ति हुई और इस पूरे मामले में जो गड़बड़ झाला हुआ वह सामने आया। वहीं झुंझुनू के चार जिला कलेक्टर और इतना लम्बा समय और समय-समय पर उपखंड अधिकारी को जिला कलेक्टर के स्मरण पत्र लिखे जाने के बावजूद भी जांच का ये हाल, ये सिस्टम की खराबी है या सिस्टम में बैठे हुए लोगो की ? और इस खराबी को सही करने की जिम्मेदारी है सरकार की। सरकार बदल गई है लेकिन झुंझुनू में नहीं बदली स्थिति क्योकि दोनों ही राजीनीतिक पार्टियों में चर भर के खेल की तरह यही लोग हावी है, जनता पागल हैं जो सोचती है की सरकार बदल गई।