झुंझुनूताजा खबर

भारत कोकिला सरोजिनी नायडू के जन्मदिवस को राष्ट्रीय महिला दिवस के रुप में मनाया

मेरे जीवन की क्षुधा, नहीं मिटेगी जब तक
मत आना हे मृत्यु, कभी तुम मुझ तक..!

झुंझुनू, गाँधी कृषि फार्म सूरजगढ़ में राष्ट्रीय साहित्यिक व सामाजिक संस्थान आदर्श समाज समिति इंडिया के तत्वाधान में देश की प्रथम महिला राज्यपाल, संविधान सभा की सदस्य, 1925 में कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष भारतीय राजनीतिज्ञ, प्रखर वक्ता, महिलाओं व नागरिक अधिकारों की समर्थक क्रांतिकारी महिला, महात्मा गांधी के साथ ऐतिहासिक दांडी यात्रा व स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली महान स्वतंत्रता सेनानी, सुप्रसिद्ध कवयित्री भारत कोकिला सरोजिनी नायडू के जन्मदिवस को राष्ट्रीय महिला दिवस के रुप में मनाया। कार्यक्रम में मौजूद लोगों ने दीप प्रज्वलित कर महान स्वतंत्रता सेनानी सरोजनी नायडू के चित्र पर पुष्प अर्पित करते हुए स्वाधीनता आंदोलन में उनके योगदान को याद किया। बहुभाषी कवयित्री, स्वतंत्रता-सेनानी, सामाजिक कार्यकर्ता, वक्ता और प्रशासक, सरोजिनी नायडू को ‘द नाइटिंगेल ऑफ इंडिया’ के रूप में भी याद किया जाता है, जो बीसवीं सदी की सबसे प्रतिष्ठित हस्तियों में से एक हैं। सरोजिनी नायडू ने भय कभी नहीं जाना था और न ही निराशा कभी उनके समीप आई थी। वह साहस और निर्भीकता का प्रतीक थीं। आदर्श समाज समिति इंडिया के अध्यक्ष धर्मपाल गांधी ने सरोजिनी नायडू के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा- सरोजिनी नायडू सुप्रसिद्ध कवयित्री और देश के सर्वोत्तम राष्ट्रीय नेताओं में से एक थी। वह भारत के स्वाधीनता संग्राम में सदैव आगे रहीं। उनके संगी साथी उनसे शक्ति, साहस और ऊर्जा पाते थे। युवा शक्ति को उनसे आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती थी। भारत के स्वतंत्रता संग्राम में महिलाओं ने भी पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर भागीदारी की थी। स्वतंत्रता संग्राम में प्रमुख भूमिका निभाने वाली महिलाओ में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी सरोजिनी नायडू का अमूल्य योगदान है। भारत कोकिला के नाम से मशहूर सरोजिनी नायडू ने अपनी प्रबल लेखनी से देश की महिलाओ को स्वतंत्रता संग्राम में योगदान हेतु प्रोत्साहित किया था। आजादी के आंदोलनों में गाँधीजी के प्रमुख सहयोगी के रूप में उन्होंने सभी गाँधीवादी आंदोलनों में नेतृत्व क्षमता का परिचय दिया था। देश की महिलाओ के लिए सरोजनी नायडू एक आदर्श के रूप में स्थापित है, जिन्होंने एक कवयित्री होने के साथ ही आजादी के संग्राम में अपने दायित्व का निर्वहन किया था। “भारत कोकिला’ सरोजिनी नायडू विश्व की एक सुप्रसिद्ध कवयित्री तथा भारत के राष्ट्रीय-क्षितिज की कर्मठ नायिका थी। वह अपनी विलक्षण प्रतिभा, काव्य-कुशलता, वक्तृत्व-शक्ति, राजनीति-ज्ञान तथा अन्तर्राष्ट्रीय दृष्टिकोण के कारण केवल भारत में ही नहीं वरन् समस्त विश्व के नारी-जगत् में विशिष्ट स्थान रखती हैं। भारत के राजनीतिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और साहित्यक क्षेत्रों में अपनी अप्रतिम प्रतिभा और तेजस्विता की अमिट छाप छोड़कर 70 वर्ष के यशस्वी जीवन के पश्चात् 2 मार्च, 1949 में नायडू का देहावसान हुआ। निस्सन्देह, वे भारतीय महिला-जागृति की मूर्तिमान प्रतीक थीं। संपूर्ण भारतवर्ष महान विभूति भारत कोकिला को सदैव स्मरण करता रहेगा और उनके महान् कार्यों का अनुकरण करता रहेगा। इस मौके पर आदर्श समाज समिति इंडिया के अध्यक्ष धर्मपाल गांधी, राजेंद्र कुमार, चाँदकौर, सुनील गाँधी, सोनू कुमारी, मोहर सिंह, दिनेश, पिंकी नारनोलिया, खुशबू, रवि कुमार, अंजू गाँधी, अमित कुमार आदि अन्य लोग मौजूद रहे।

Related Articles

Back to top button