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जेवलिन थ्रोअर देवेंद्र झाझड़िया ने वर्ल्ड एथलेटिक्स ग्रांड प्रीक्स में जीता सिल्वर

देवेंद्र ने कहा- बीस साल तक लगातार देश के लिए पदक जीतना गर्व की बात

कड़ी मेहनत व समर्पण से एज फेक्टर को बेअसर कर सकता है आदमी

चूरू, देश के स्टार जेवलिन थ्रोअर खेल रत्न अवार्डी देवेंद्र झाझड़िया ने मोरक्को के मारकेच सिटी में चल रही वर्ल्ड पैरा एथलेटिक्स ग्रांड प्रीक्स में रजत पदक जीतकर एक बार फिर गौरवान्वित किया है।देवेंद्र के जेवलिन ने 60.97 मीटर की दूरी तकय करते हुए रजत पदक अपने नाम किया। भारत के ही अजित कुमार ने 64 मीटर जेवलिन फेंककर स्वर्ण पदक जीता। सिल्वर मेडल से उत्साहित झाझड़िया ने कहा कि वर्ष 2002 में उन्होंने दक्षिण कोरिया में पैरा एशियन गेम्स में गोल्ड के रूप में कैरियर का पहला अंतरराष्ट्रीय पदक जीता था। आज बीस साल बाद पदक जीतकर गर्व की अनुभूति हो रही है। लगातार बीस साल तक देश के लिए पदक जीतना गौरवान्वित करता है। इसमें भी लगभग हर साल पदक जीते हैं। बढ़ती उम्र के सवाल पर देवेंद्र ने कहा कि हर किसी के जीवन में एज फेक्टर होता है और खिलाड़ियों के लिए तो खास तौर पर होता है लेकिन आप अपने समर्पण, सूझबूझ और मेहनत से इसका असर कम कर सकते हैं। बढ़ती उम्र के साथ रिकवरी मुश्किल से होती है तो आपको यह ध्यान रखना होता है कि कैसे कम से कम इंजरी हो। डाइट प्लान तो खैर महत्त्वपूर्ण है ही। आपको याद रखना पड़ता है कि आप चालीस पार कर चुके हो और आपका मुकाबला बीस साल वाले युवाओं के साथ है।

देवेंद्र ने अपनी सफलता का श्रेय कोच सुनील तंवर, फिटनेस कोच लक्ष्य बत्रा को देते हुए कहा कि भारत सरकार की टाॅप्स स्कीम में फिनलैंड में की गई ट्रेनिंग काफी मददगार रही। इसके बाद गांधी नगर भी लगातार ट्रेनिंग कर रहा हूं। सरकार पूरा खर्च उठा रही है। यहां तक कि यहां भी कोच और फिटनेस कोच भारत सरकार के खर्चे पर मेरे साथ हैं।देवेंद्र ने कहा कि बीस साल के इस सफर में उपलब्धियां हैं तो संघर्ष भी खूब रहा है। कभी इंजरी ने परेशान किया तो कभी ओलंपिक में जेवलिन थ्रो का इवेंट ही न रहा। लेकिन फोकस सिर्फ गेम पर ही रहा कि देश के लिए खेलना है बस। उसी का नतीजा है कि इस पदक तक हम पहुंचे हैं।उन्होंने कहा कि कोई भी युवा यदि मेहनत करे और टारगेट पर फोकस रखे तो बिल्कुल सफल हो सकता है। टोक्यो पैराओलंपिक के बाद में फिर से प्रशिक्षण पर आ गया था। सरकार ने भी खूब सुविधाएं मुहैया करवाई। भारत में स्पोर्ट्स का माहौल बदल रहा है। लोगों का स्पोर्ट्स और दिव्यांगों के प्रति नजरिया बदल रहा है। पढ़ोेगे लिखोगे तो बनोगे नवाब के साथ अब खेलोगे कूदोगेे तो बनोगे लाजवाब का नारा चल रहा है। उल्लेखनीय है कि राजस्थान के चूरू के मूल निवासी देवेंद्र झाझड़िया अनेक अंतरराष्ट्रीय पदक जीत चुके हैं और इसी के चलते अर्जुन अवार्ड, पद्मश्री अवार्ड, सर्वोच्च खेल रत्न अवार्ड, पद्मभूषण अवार्ड से सम्मानित हो चुके हैं।

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