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जीव प्रभु की भक्ति करता है तो उसे शक्ति मिलती है- राघव ऋषि

जीव प्रभु की भक्ति करता है तो उसे शक्ति मिलती है ये उद्गार पूज्य राघव ऋषि ने कथाक्रम के चौथे दिवस अपार जनसमूह को देते हुए कहा। उन्होंने कहा जीव यदि पूरी निष्ठा से प्रभु की भक्ति करता है तो वह बलि बनता है एंव उस पर कृपा करने के लिए भगवान स्वयं वामन के रूप में पधारते है। परमात्मा जब द्वार पर पधारते है तो तीन कदम पृथ्वी अर्थात् तन, मन, धन जीव से मांगते है। तन से सेवा, मन से सुमिरन व धन से सेवा जो बलि की भांति करता है, भगवान उसके द्वारपाल बनते है और वहीं अक्षुण्ण साम्राज्य को प्राप्त करता है। श्रीरामचरित्र की चर्चा करते हुए ऋषि ने कहा भगवान ने दो पूर्ण अवतार लिए है। सूर्य व चन्द्र नवग्रहों के राजा है अत: सुर्यवंश में राम के रूप में व चन्द्रवंश में प्रभुकृष्ण ने अवतार लिया।

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