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झुंझुनूं को 2025 तक क्षय रोग मुक्त करने में सभी निभाए अपनी भूमिका- डॉ. दायमा

जिला स्वास्थ्य समिति (क्षय) झुंझुनूं द्वारा टीबी रोग से संबंधित विश्व क्षय दिवस से पूर्व शनिवार को पत्रकार वार्ता का आयोजन किया गया। जिसमे जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. प्रहलाद दायमा ने मिडियाकर्मियों से बातचीत करते हुए बताया कि झुुंझुनूं जिले को 2025 तक क्षय रोग मुक्त करने के उद्देश्य से जिले में टीबी रोग नियंत्रण के लिए विशेष कार्यक्रम चलाए जा रहे है। उन्होंने बताया कि कोई भी कार्यक्रम व अभियान आम जागरूकता के बगैर सफल नही हो सकता। इसलिए आमजन में क्षय रोग नियंत्रण के लिए एक वातावरण निर्माण करने के लिए झुंझुनूं क्षय रोग निवारण केंद्र से कार्यक्रम चलाए जा रहे है। डॉ. दायमा ने बताया कि टीबी यानि क्षय रोग एक संक्रामक बीमारी है, जो माईक्रो बैक्टीरियम ट्यूबर क्लोसिस नामक जीवाणु की वजह से होती है। उन्होंने कहा कि टीबी रोग हवा के माध्यम से फैलता है और एक पीडि़त मरीज एक वर्ष में दस या उससे भी अधिक लोगों को संक्रमित कर सकता है। डॉ. दायमा ने बताया इस बीमारी के फैलने के अनेक कारण है जिसमें निर्धनता, अपर्याप्त व अपौष्टिक भोजन, कम जगह में अधिक लोगों का रहना, गंदगी व अज्ञानता प्रमुख है। उन्होंने बताया कि जिले को टीबी मुक्त बनाने में एक समस्या जागरूकता की कमी भी है। भले ही विज्ञापनों में जागरूकता फैलाने और दवाओं के बारे में कितनी भी जानकारी क्यो न दी जाती हो, लोगों को अभी भी ठीक से इस बीमारी के बारे में जानकारी नही है।
– निक्षय पोषण योजना से एक हजार से ज्यादा टीबी रोगी लाभाविंत
जिला क्षय रोग अधिकारी ने बताया कि टीबी मरीज को प्रत्येक माह पांच सौ रूपये की आर्थिक सहायता दी जाती है। जिसके तहत बीमारी के सुनिश्चित मरीज को ही यह सुविधा मिलती है। जिसमें अभी तक झुंझुनूं में एक हजार से अधिक टीबी रोगियों को करीब 15 लाख रूपये का भुगतान ऑन लाईन खाते में दिया जा चुका है। साथ ही निजी स्तर पर भी उपचारित टीबी रोगियों को भी इस योजना का लाभ दिया जाता है।
– निजी स्तर पर अधिक उपचारित हो रहे है टीबी मरीज
जिला क्षय रोग अधिकारी ने बताया कि राज्य स्तर पर दिये जा रहे लक्ष्य से यह अनुमान लगाया जा रहा है कि निजी स्तर पर बड़ी संख्या में टीबी रोगियों का उपचार किया जा रहा है। भारत सरकार के 19 मार्च 2018 के गजट नोटिफिकेशन में निजी स्तर पर उपचारित प्रत्येक टीबी रोगी की सूचना निजी चिकित्सकों द्वारा स्वास्थ्य विभाग को ऑन लाईन दी जानी आवश्यक है। जिसके लिए गत वर्ष 2018 में 2831 टीबी रोगी के लक्ष्य के जवाब में जिले के निजी चिकित्सकों ने केवल 910 टीबी रोगियों को नोटिफाई करवाया। साथ ही सरकारी स्तर पर 1905 के लक्ष्य में कुल 1740 टीबी रोगी खोजे गए। जिसमें 67 रोगी एमडीआर टीबी रोगी शामिल है। इसके अलावा जिले के सभी जांच केंद्रों पर कुल 10 हजार 381 संभावित टीबी रोगियों की जांच की गई, जिसमें से 951 रोगी टीबी रोग से ग्रसित पाये गए। इसी के साथ ही जिला मुख्यालय संचालित सीबीनाट जांच मशीन में गत वर्ष कुल 1858 जांच में 223 निजी चिकित्सकों द्वारा रैफर मरीजों की जांच की गई। पत्रकारवार्ता में जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. दायमा ने बताया कि 24 मार्च विश्व क्षय दिवस के मौके पर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय में आयोजित होने वाले समारोहपूर्वक कार्यक्रम में जिले में टीबी रोकथाम के क्रम में उल्लेखनीय कार्य करने वाले कार्मिकों को पुरूस्कृत किया जाएगा।

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