झुंझुनू लोकसभा क्षेत्र वैसे तो कांग्रेस का गढ़ माना जाता रहा है साथ ही पूर्व सांसद पदम श्री शीशराम ओला का यहां पर लंबे समय तक दबदबा रहा और जब तक वह जीवित थे उनके सामने कांग्रेस से लोकसभा क्षेत्र में दावेदारी करने की किसी ने हिम्मत भी नहीं दिखाई थी क्योंकि अब स्थितियां बदल चुकी हैं वर्तमान की बात करें तो पूर्व विधायक श्रवण कुमार जिले में लोगों से संपर्क कर रहे हैं और लोकसभा चुनाव के लिए दावेदारी जता रहे हैं। वही पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉक्टर चंद्रभान अचानक से झुंझुनू की राजनीति में सक्रिय हो चुके हैं। वहीं शीशराम ओला की पुत्रवधू राजबाला ओला भी लोकसभा चुनाव के लिए संकेत दे चुकी है ऐसी स्थिति में लगता है इस बार कांग्रेस क्या हारे हुए लोगों के सहारे ही नैया पार लगाने का प्रयास करेगी। ये दावेदार अपने अपने तरीके से प्रयासरत हैं लेकिन लोगो का मानना इनमें किसी को भी विनिंग फेस कहा जा सकता। श्रवण कुमार अपने विधानसभा क्षेत्र से एक नए उम्मीदवार से शिकस्त पा चुके हैं वही डॉक्टर चंद्रभान की मंडावा विधानसभा क्षेत्र में क्या रहा वह सबके सामने है। बात राजबाला ओला कि करें तो उनके लिए सबसे बड़ा प्लस प्वाइंट यह है कि वह शीशराम ओला की पुत्रवधू है लेकिन वर्तमान में झुंझुनू कांग्रेस में जिस तरीके से खींचतान दिखाई दे रही है कांग्रेस के अलग अलग विधानसभा क्षेत्रों से हारे हुए उम्मीदवार बृजेंद्र ओला पर पार्टी को कमजोर करने का आरोप लगा चुके हैं। ऐसी स्थिति में कांग्रेस पार्टी क्या डॉक्टर राजबाला पर दाव खेलेगी ? यदि कांग्रेस जाट कार्ड के अलावा विचार करती है तो पूर्व चिकित्सा मंत्री वर्तमान विधायक डॉक्टर राजकुमार शर्मा इसमें आगे देखे जा सकते हैं। लेकिन जाट बाहुल्य क्षेत्र होने के कारण यदि कांग्रेस किसी जाट पर अपना दांव लगाती है तो इस बार यह लग रहा है कि वह किसी नए चेहरे को झुंझुनू लोकसभा क्षेत्र में उतार सकती है। यह कोई अप्रत्याशित घटना नहीं होगी इस तरीके से राजस्थान मंत्रिमंडल के अंदर नए चेहरों को तवज्जो दी गई है उसे देखते हुए लगता है कि कांग्रेस अब परिवर्तन के दौर से गुजर रही है जिसके कारण से पुराने हारे कांग्रेसी दिग्गज नेताओं के लिए खतरे की घंटी है। हारे पूर्व विधायकों को यदि लोकसभा में टिकट नहीं मिलती है तो राजनीति से भी उनका फाइनल पैकअप तय माना जा रहा है।