जिले में चल रहे 29वें सडक़ सुरक्षा सप्ताह के दौरान शुक्रवार को सूचना केन्द्र के सभागार में चालक एवं परिचालकों की कार्यशाला आयोजित हुई। कार्यशाला में बाल वाहिनी के चालकों के आंखों की नि:शुल्क जांच भी की गई।
पुलिस उपाधीक्षक गोपाल लाल शर्मा ने कार्यशाला में जानकारी दी कि कई बार चालकों को सडक़ पर लगे संकेतक बोर्डो की जानकारी के अभाव में अनेक बडे हादसे हो जाते है, जिनमें जान और माल दोनों का नुकसान होता है। उन्होंने वाहन चालकों का आह्वान किया कि उन्हें सडक़ों पर लगे संकेतकों की पूरी जानकारी होनी चाहिये। इससे वाहन चलाने में सावधानी रहती है। उन्होंने पोस्टर के माध्यम से यातायात को सुलभ बनाने के लिए सडक़ों पर लगने वाले संकेतक बोर्डो के बारे में बाल वाहिनी चालकों से विस्तार से चर्चा की।
कार्यशाला में परिवहन विभाग के उम्मेद सिंह ने बाल वाहिनियों के चालकों से यातायात नियमों के बारे में चर्चा करते हुए कहा कि बाल वाहिनी वाहनों के भी नियम होते हैं, जिनके बारे में अधिकतर वाहन चालक अनजान रहते हैं। उन्होंने बताया कि बाल वाहिनी चलाने वाले चालकों के पास 5 साल का ड्राईविंग अनुभव होने, बाल वाहिनी में चलने वाली बस 20 साल से ज्यादा पुरानी नहीं होने, बसों का कलर पीला तथा स्कूलों में चलने वाले टैम्पों का कलर सफेद रखने, वाहनों में निर्धारित सवारी बैठाने व निर्धारित गति से वाहन चलाने, गाड़ी चलाते समय मोबाइल का उपयोग नहीं करने, चालक एवं परिचालक के डे्रस कोड निर्धारित रखने, वाहिनी में पीने के पानी की व्यवस्था रखने जैसे नियमों के बारेें में बताया।
इस दौरान जिला परिषद् सदस्य दिनेश सुण्डा एवं यातायात प्रभारी विमला बुडानिया ने भी चालकों को यातायात के नियमों के बारें में बताया और भविष्य में इन नियमों को ध्यान में रखकर ही ड्राईविंग करने की सलाह दी। इन्होंने कहा कि लापरवाही से गाड़ी चलाने से ना केवल आपके लिए, बल्कि आपकी गाड़ी में बैठी सवारियों के लिए भी जोखिम भरी हो सकती है और कई बार यह लापरवाही बहुत बड़े हादसे को न्यौता दे देती है।