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जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, झुंझुनूं की अध्यक्षता में आशा का झरना (मूक, बधिर एवं मानसिक विमंदितों के लिए स्कूल), झुंझुनूं में दिव्यांगता से ग्रसित व्यक्तियों के लिए एवं बाल विवाह रोकथाम अभियान के लिए लोगों में विधिक जागृति उत्पन्न करने के लिए विधिक साक्षरता शिविर का आयोजन किया गया। सचिव मधु हिसारिया ने अपने उद्बोधन में बताया कि मानसिक अथवा शारीरिक दिव्यांग व्यक्ति अपना स्वयं का कार्य अपने स्तर पर करने में असक्षम होने पर उस व्यक्ति में हीनता की भावना का जन्म हो जाता है। अत: यह आवश्यक है कि हम मानसिक अथवा शारीरिक रूप से विकलांग व्यक्ति की मानसिक स्थिति को समझे तथा उसकी हरसंभव मदद करने का प्रयत्न करें क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति को स्वस्थ और खुशहाल जीवन स्वतंत्रतापूर्वक जीने का अधिकार है। इसके साथ हिसारिया द्वारा उक्त कार्यक्रम के दौरान मानसिक रूप से विमंदित बालकों को फल तथा पाठ्य सामग्री का वितरण किया गया तथा हिसारिया ने मनीषा के कार्य की भी सराहना की जो कि आशा का झरना के बच्चों को समाज की मुख्यधारा में रहने तथा उनके जीवन स्तर को सुधारने के लिए प्रशिक्षित करती है। इसके साथ वहां उपस्थित बच्चों एवं आमजन को हिसारिया द्वारा बाल विवाह से होने वाले दुष्प्रभावों से अवगत करवाते हुए बाल विवाह ना करने के लिए एवं अपने आस पास किसी का बाल विवाह हो रहा हो तो उसकी सूचना जिला प्रशासन को दिये जाने के लिए बताया गया। मूक बधिर बालिका-बालिकाओं ने अपनी शिक्षिका द्वारा सिखाये गए नृत्य को संगीत के साथ मेल कर प्रस्तुत किया। ‘ऐसा देश है मेरा’ नृत्य देखकर कहा नहीं जा सकता कि बच्चे बधिरता से ग्रस्त हो और गाने के सुर सुन नहीं पा रहे हों। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, झुंझुनूं के इस कार्यक्रम में बच्चों ने व आशा का झरना के अध्यापकगण, प्रशासन व पीएलवी पुष्पा कुमारी ने सक्रियता से भाग लिया।