श्री जेजेटी विश्वविद्यालय, चुडै़ला में चल रही गीता ज्ञान का स्रोत विषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी का समापन सोमवार को हो गया। समापन समारोह के मुख्य अतिथि जयपुर के भारतीय प्राच्य ज्योतिष शोध संस्थानम के सचिव पंडित अखिलेश कुमार शास्त्री ने कहा कि शोध मौलिक होने के साथ ही व्यवहार और आचरण की प्रयोगशाला में परखा जाना चाहिए। इसके बिना शोध केवल इधर-उधर से संजोई गई सामग्री का पुलिंदा मात्र बन कर रह जाएगा। दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी में अनेक स्कॉलर्स ने शोध पत्र पढ़े। शास्त्री ने कहा कि गीता में इस बात पर जोर दिया गया है कि कर्म ही शिखर तक ले जाता है। मुख्य वक्ता कर्नल (सेवानिवृत्त) अर्जुन सिंह ने बताया कि दुनिया की हर भाषाए व्यवस्था में संस्कृत विद्यमान है। आज संस्कृत पर शोध के साथ ही संस्कृत की माइनिंग (उत्खनन) की आवश्यकता है। जयपुर के महाराजा आचार्य संस्कृत महाविद्यालय के डॉ उमेश प्रसाद दास ने संस्कृत में मंगलाचरण किया तथा गीता की मीमांसा प्रस्तुत की। डॉ शिल्पा ने सरस्वती वंदना की तथा डॉ जयश्री सुब्रह्मणियम ने कर्नाटक शैली में गणपति वंदना प्रस्तुत की।