बलात्कार के मामले में
झुंझुनूं, लैंगिक अपराधो से बालको का सरंक्षण अधिनियम व बालक अधिकार संरक्षण आयोग अधिनियम के विशेष न्यायाधीश सुकेश कुमार जैन द्वारा बलात्कार के मामले में दिये एक निर्णय में अपनी पीडि़ता पुत्री से हुये बलात्कार के सम्बन्ध में न्यायालय में एक मां द्वारा सशपथ झुठे बयान देने पर न्यायालय ने पीडि़ता की मां किरण पत्नी बाबूलाल जाट निवासी खोजावास तहसील नवलगढ़ के विरूद्ध झुठे साक्ष्य देने की कार्यवाही संस्थित करने का आदेश देते हुये उसे तलब किया है जबकि इस मामले में बलात्कार के तीनो आरोपी क्रमाश: मनीराम पुत्र चुन्नीराम जाट, नेकीराम पुत्र नागरमल जाट निवासीगण देवगांव तन परसरामपुरा तथा प्रदीप काजला पुत्र श्रवण कुमार जाट निवासी काजला की ढ़ाणी तन मोहनबाड़ी को सभी आरोपो से बरी कर दिया है। न्यायालय ने अपने आदेश में लिखा कि झुठे साक्ष्य के माध्यम से न्यायिक प्रक्रिया के दुरूपयोग को रोकने के लिये यह उचित प्रतीत होता है कि ऐसे मामलो में जान बुझकर झुठी गवाही देने वाले गवाह के विरूद्ध कार्यवाही की जाये। इस कारण पीडि़ता की मां किरण पत्नी बाबूलाल को धारा 193 का आरोपी मानते हुये उसे तलब करने का आदेश दिया। इस मामले में विशेष लोक अभियोजक लोकेन्द्र सिंह शेखावत ने न्यायालय में तर्क दिया कि पोक्सो अधिनियम में परिवादी पक्ष द्वारा प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करवाने के बाद तथा अन्वेषण के दौरान पुलिस मशिनरी का उपयोग करने एवं न्यायिक कार्यवाही का उपयोग करने में सरकार की काफी धन राशि खर्च होती है परन्तु लालचवश अथवा दवाबवश जान बुझकर अभियुक्त को बचाने के उद्देश्य से सशपथ झुठी साक्ष्य दे दी जाती है। इस पर न्यायालय ने अपने निर्णय में लिखा कि ऐसे प्रतीत होता है कि न्यायिक प्रक्रिया को एक खेल बना दिया गया है जिसमें परिवादी पक्ष के गवाहो द्वारा एक टुल्स के रूप में पुलिस एवं न्यायालय का इस्तेमाल किया जा रहा है। पोक्सो अधिनियम के तहत दाण्डिक प्रावधान अत्यन्त कठोर है जिसके कारण परिवादी पक्ष का किसी दवाब अथवा लालच में आ जाना संभव है। ज्ञात रहे कि इस मामले में पीडि़ता की मां किरण देवी ने पुलिस थाना नवलगढ़ पर 12 अगस्त 2017 को एक रिपोर्ट दी कि उसकी पुत्री पीडि़ता सायं को घर का काम करते हुये कचरा डालने घर के बाहर गयी थी व आज दिन में 4-5 बजे एक सफेद कलर की कैम्पर कार घर के आगे चक्कर लगा रही थी कि घर के सामने मनीराम जो आये दिन हमे परेशान करता है जो उसकी लडक़ी को बहला-फुसलाकर ले गया आदि। पुलिस ने इस मामले में जांच कर मनीराम के विरूद्ध बलात्कार आदि में चालान पेश कर दिया। बाद में न्यायालय में एक प्रार्थना पत्र पेश करने पर नेकीराम व प्रदीप को भी न्यायालय ने आरोपी बनाकर तीनों के विरूद्ध ट्रायल शुरू की गयी। न्यायालय ने लिखा कि न्यायालय में परिवादिया का यह कहना कि उसकी बेटी ने उसे मुल्जिमान द्वारा बलात्कार करने की बात नही बतायी बल्कि वह घर पर बताये बिना ही वह अपनी बहिन के घर चली गयी जिससे स्पष्ट है कि पीडि़ता की मां जान बुझकर सशपथ सफेद झुठ बोल रही है तथा इस मामले में मां और बेटी दोनो ही पूर्णरूप से पक्षद्रोही घोषित हुयी है।