बाल कृष्ण टीबडेवाला ने किया शुभारम्भ
झुन्झुनूं, श्री जगदीश प्रसाद झाबरमल टीबडेवाला विश्वविद्यालय में संस्कृत विभाग द्वारा दो दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया गया। जिसका विषय ‘‘भारत के विश्वगुरू बनने की दिशा में संस्कृत भाषा एवं वैदिक वादमय की भूमिका’’ रखा गया। इस सेमिनार का शुभारम्भ विश्वविद्यालय के प्रेसिडेन्ट बाल कृष्ण टीबडेवाला ने माॅ सरस्वती के आगे दीप प्रज्वलित कर किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता डाॅ. रामकुमार दाधीच पूर्व संयुक्त निदेशक संस्कृत शिक्षा राजस्थान ने की। मुख्य वक्ता के रूप में डाॅ. मोनिका वर्मा सहायक आचार्य संस्कृत मौलिक सिंघात विभाग थी। कार्यक्रम में डाॅ. सर्वपल्ली राधाकृष्ण राजस्थान आयुर्वेद विश्वविद्यालय जोधपुर, डाॅ. राजेन्द्र प्रसाद, डाॅ. हिरालाल पाण्डे विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित थे। कार्यक्रम प्रभारी डाॅ. चन्द्रलेखा शर्मा ने स्वागत उद्बोधन देते हुए सभी अतिथियो का सम्मान किया। इस अवसर पर सरस्वती वंदना के साथ कार्यक्रम शुरू हुआ। मुख्य वक्ता डाॅ. मोनिका वर्मा ने सेमिनार के विषय पर अपना उद्बोधन देते हुए कहा कि भारत के विश्वगुरू बनने की दिशा में संस्कृत भाषा के वेज्ञानिक करण एवं इसके अवदान पर सारगर्भित एवं गंभीर व्याख्यान दिया। डाॅ. रामकुमार दाधीच ने भारत के विश्वगुरू बनने में संस्कृत भाषा के योगदान पर अपने विचार रखते हुए संस्कृत अनुसंधान केन्द्र की स्थापना का सुझाब दिया। वहीं मुकेश शर्मा ने योग दर्शन एवं विश्व शांति शीर्षक पर शोध पत्र प्रस्तुत किया। शोधार्थी डाॅ. कपील एवं डाॅ. सीमा सोनगरा ने संस्कृत साहित्य एवं लोकोक्तियो पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम का संचालन वंदना तिवाडी ने किया। इस अवसर पर डाॅ. शशी मोरोलिया ने धन्यवाद ज्ञापन दिया। इस अवसर पर डाॅ. डी.पी. वर्मा, डाॅ. सुरेश कडवासरा, डाॅ. सतकला, डाॅ. गुलझार, डाॅ. मदनलाल राजोरिया, डाॅ. बलदेव वर्मा, डाॅ. डी.एल. पारिक, डाॅ. रतन लाल भोजक सहित बड़ी संख्या में शोधार्थी मौजूद थे।