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कोलीड़ा में शहीद केशर देव मील की 47 वीं पुण्य तिथि पर श्रद्धांजलि सभा

केशर नगर कोलीड़ा में शहीद केशर देव मील की 47 वीं पुण्य तिथि पर शहीद मेले व श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। शहीद स्मारक पर अतिथियों व गणमान्य लोगों ने पुष्पांजलि अर्पित की। इस उपलक्ष्य में आयोजित श्रद्धांजलि सभा में मुख्य अतिथि पूर्व केन्द्रीय मंत्री सुभाष महरिया ने कहा कि सैनिक विपरीत परिस्थितियों में भी हमारी रक्षा करते हैं। सैनिकों का जज्बा हमें देशभक्ति की प्रेरणा देता है। समाज के लोगों को अपने सैनिकों का सम्मान करना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार शहीद सैनिकों को दिए जाने वाला पैकेज परिवार के पालन पोषण व बच्चों की शिक्षा दिक्षा के लिए होता है लेकिन वह राशि शहीद स्मारक के निर्माण व कार्यक्रमों में खर्च करवा दी जाती है। सैनिकों के सम्मान में होने वाले कार्यक्रमों का आयोजन सामाजिक स्तर पर किया जाना चाहिए। कार्यक्रम के अध्यक्ष कर्नल रामेश्वर बुरडक ने कहा कि शहीदों की शहादत से बच्चों को प्रेरणा मिलती है। इसलिए ऐसे कार्यक्रमों में स्कूली बच्चों को अवश्य बुलाना चाहिए। साथ ही शहीदों के चित्र व उनकी जीवनी को स्कूल परिसर में चस्पा करवाना चाहिए। उन्होने सैनिकों के लिए चलाई जानेवाली योजनाओं की जानकारी दी। शिक्षाविद् दयाराम महरिया ने कहा कि शहीद मेलों के आयोजन के लिए समाज के लोगों को आगे आना चाहिए। उन्होने आगामी कार्यक्रमों के संचालन के लिए समिति का गठन करने की सलाह दी। कार्यक्रम में सुल्तानसिंह सुण्डा ने राजस्थानी गीत प्रस्तुत किया। विद्यार्थी हार्दिक जांगिड़ ने देशभक्ति गीत सुनाया। अतिथियों ने शहीद विरांगना सिणगारी देवी का शॉल ओढ़ाकर सम्मान किया। इस मौके पर गोवर्धन मील की अध्यक्षता में शहीद केशरदेव मील स्मृति संस्थान की समिति का गठन किया गया। सचिव बृजमोहन मील को बनाया गया। समारोह में शहीद जयपालसिंह चलका के पिता शिशुपालसिंह चलका, लेप्टिनेंट अशोक गढ़वाल, कैप्टेन मनोज कुमार, कैप्टेन फूलसिंह, कैप्टेन रामलालसिंह मील, भंवरलाल जांगिड़, बीएल मील, पूर्व सरपंच मेगराज शर्मा, पूर्व पंस सदस्य जगदीश जाखड़, शिक्षक ओमप्रकाश कानसूजिया ने अपने विचार व्यक्त किए। इस अवसर पर जिला परिषद सदस्य ताराचंद धायल, बनवारीलाल मील, दयाराम मील, सहकारी समिति अध्यक्ष बनवारी लाल, उप सरपंच मो. इशाक, पूर्व सैनिक शिवपालसिंह मील, मोहनलाल मील, दीनदयाल मील सहित अनेक गणमान्य लोग उपस्थित रहे। कार्यक्रम में संचालन भंंवरसिंह निठारवाल ने किया।

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